नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम लोहड़ी के खास अवसर पर पंजाब की क्लासिकल डिश मक्के की रोटी और सरसों का साग बनाएँगे। दोस्तों, आप सभी को लोहड़ी , बिहू, मकर - संक्रांति , उत्तरायन एवं पोंगल आदि पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएँ । लोहड़ी का त्योहार मकर - संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। यह पंजाब और हरियाणा का एक प्रमुख त्योहार है। इसके अलावा लोहड़ी दिल्ली , जम्मू - कश्मीर और हिमांचल प्रदेशों के साथ - साथ देश के हर उस हिस्से में जहां पंजाबी समुदाय के लोग रहते हैं, वहाँ धूम - धाम से मनाया जाता है। इसके साथ ही असम में बिहू, मध्य भारत में मकर - संक्रांति और दक्षिण भारत में पोंगल मनाने की भी परंपरा है। ये सभी पर्व नयी फसल के होने की खुशी में मनाए जाते हैं। इसलिए इन्हें अँग्रेजी भाषा में ''क्रॉप फेस्टिवल ऑफ इंडिया '' भी कहा जाता है। इन त्योहारों के साथ ही ऐसा माना जाता है कि सर्दियाँ कम होने लगती हैं और वातावरण काफी खुशनुमा हो जाता है।
लोहड़ी की शाम को लोग लकड़ी जलाकर अग्नि के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, आग में रेवड़ी , मूँगफली , खील और मक्की के दानों आदि की आहुति दी जाती है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि जो भी नयी फसल हुई है उसे पहले भगवान को अर्पण करके तब उसका सेवन किया जाता है। बाजे - गाजे , ढ़ोल - नगाड़े आदि के साथ लोग लोहड़ी के गीत गाते हैं, झूमते - नाचते हैं और पूरे हर्षोल्लास के साथ इस त्योहार को मनाते हैं। यह त्योहार नयी बहू और घर में अगर कोई बच्चा हुआ है , उसके लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन नव- विवाहित जोड़े और नवजात बच्चों को बड़े - बुजुर्गों और भगवान से आशीर्वाद दिलाया जाता है। लोग गज़क , रेवड़ी , खील , मूँगफली आदि का लुत्फ उठाते हैं और एक - दूसरे को लख - लख बधाइयाँ देते हैं।
लोहड़ी का त्योहार मनाने के पीछे एक ऐतिहासिक कथा है। ऐसा कहा जाता है कि जब भारत में अकबर का शासन था , उन दिनों दुल्ला भट्टी नाम का एक व्यक्ति पंजाब प्रांत का सरदार हुआ करता था। उसे ''पंजाब का नायक'' भी कहा जाता था। उन दिनों पंजाब में एक संदलबार नाम की एक जगह हुआ करती थी ,[ जो अब विभाजन के बाद पाकिस्तान में स्थित है ] , वहाँ लड़कियों की खरीद - फ़रोक्त होती थी और उनका पूरा जीवन नरकतुल्य कष्टों में बीतता था। तब दुल्ला भट्टी ने इसका विरोध किया और इस कुप्रथा को समाप्त कर अनेकों लड़कियों को उनका खोया हुआ सम्मान दिलवाया और उनका विवाह करवाकर उन्हें एक सम्मानित जीवन प्रदान किया। इसी कारण उन्हें ''पंजाब का नायक'' भी कहा जाने लगा। लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी की कथा सुनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि दुल्ला भट्टी की कथा के बगैर लोहड़ी अधूरी है।
इस दिन सभी पंजाबी घरों में गज़क , रेवड़ी और खील आदि के साथ जो एक व्यंजन विशेष रूप से बनता है, वह है ;-'' मक्के की रोटी और सरसों का साग''। जैसे दुल्ला भट्टी की कहानी के बगैर लोहड़ी अधूरी है वैसे ही मक्के की रोटी और सरसों के साग के बगैर भी लोहड़ी अधूरी है। यह पंजाब की एक क्लासिकल और पारंपरिक डिश है। यह पोषक तत्वों से भरपूर और स्वाद में बेमिसाल होती है। सरसों का साग केवल एक अकेले सरसों के साग से ही नहीं बनता है, बल्कि उसमें पालक और बथुआ आदि सागों का सम्मिश्रण भी होता है। तीनों साग एक साथ मिलकर इस डिश के स्वाद में चार चाँद लगा देते हैं और गरमागरम मक्के की रोटी के ऊपर तैरता हुआ सफ़ेद मक्खन किसी को भी ललचाने की क्षमता रखता है। लेकिन तीनों सागों की मात्रा में सटीक अनुपात का होना बहुत आवश्यक है,नहीं तो इससे साग के स्वाद में बहुत अंतर पड़ जाता है। जितना सरसों का साग है, उसका 1/4 ही बथुआ और पालक का साग होना चाहिए, इस बात का विशेष ध्यान रखें। मक्के की रोटी और सरसों के साग को प्याज़ , हरी मिर्च , सफ़ेद मक्खन और गुड के साथ सर्व किया जाता है। पंजाब में पारंपरिक रूप से सरसों के साग को मिट्टी के बर्तन में घंटों घोटकर पकाया जाता है, लेकिन उसमें थोड़ा वक़्त ज्यादा लगता है। इसलिए आज इस रेसिपी में मक्के की रोटी और सरसों के साग को जल्दी और आसान तरीके से बनाने की विधि स्टेप बाई स्टेप बताई गयी है साथ ही साथ सारे टिप्स और ट्रिक्स भी शेयर किए गए हैं। तो चलिये फिर देर किस बात की , स्वाद और सेहत से भरपूर पंजाब की क्लासिकल डिश मक्के की रोटी और सरसों का साग बनाना शुरू करते हैं।
सरसों का साग
सामग्री
- सरसों का साग ;- 1 किलो
- बथुए का साग ;- 250 ग्राम
- पालक का साग ;- 250 ग्राम
- पानी ;- 2 कप
- बटर ;- 1 टेबल - स्पून
- घी ;- 2 टेबल - स्पून
- बारीक कटा लहसून ;- 1 टेबल - स्पून
- बारीक कटी अदरक ;- 1 टी- स्पून
- बारीक कटी हरी मिर्च ;- 2
- बारीक कटी प्याज़ ;- 1/4 कप या 1 बड़ा प्याज़
- मक्के का आटा ;- 1 टेबल - स्पून
- नमक;- स्वादानुसार
- घी;- 2 टेबल - स्पून
- कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर ;- 1/2 टी- स्पून
- कसूरी मेथी ;- 1 टेबल- स्पून
- सबसे पहले पालक , बथुआ और सरसों को अच्छे से साफ करके धो लें। फिर सभी सागों को काट लें । ज्यादा बारीक - बारीक काटने की आवश्यकता नहीं है, क्यूंकि वैसे भी हमें साग को उबालकर पीसना ही है।
- अब एक पैन या कड़ाही में 2 कप पानी डालकर गैस पर उबलने के लिए रख दें।
- जब पानी में एक उबाल आ जाए तब उसमें सरसों, बथुआ और पालक के साग को डाल दें।
- उलटते - पलटते हुए मीडियम आंच पर सभी सागों को पका लें। साग को पकने में 10- 15 मिनट का समय लग जाता है।
- पहले तो साग मात्रा में ज्यादा लगते हैं, लेकिन जैसे -जैसे ये पकते हैं , वैसे - वैसे इनकी मात्रा कम होती जाती है। अतः इतना सारा साग देखकर घबराएँ नहीं।
- साग उबालने के लिए एक बात का विशेष ध्यान रखें कि साग को उबालने के लिए प्रेशर कूकर का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें, क्यूंकि उससे साग के स्वाद में अंतर आ जाता है। अतः साग को किसी पैन या कड़ाही में ही खोलकर पकाएँ।
- जब साग पक जाएँ , तब गैस बंद कर दें और एक अलग बर्तन में साग को छान लें। साग के पानी को फेंकें नहीं। इसमें बहुत सारा मिनरल और विटामिन्स होता है। उसमें थोड़ा काला नमक , थोड़ी सी कुटी हुई काली मिर्च और थोड़ा सा नींबू का रस डालकर पी जाएँ। इससे बहुत ताकत मिलती है और साग का पानी भी बर्बाद नहीं होता है।
- साग को एक बार ठंडे पानी से धो लें। ठंडे पानी से धोने से एक तो साग का कूकिंग प्रोसेस रूक जाएगा और साग ओवर - कुक नहीं होगा और दूसरा उसका हरा रंग बरकरार रहेगा।
- जब साग अच्छे से ठंडा हो जाए तब मिक्सर में डालकर बिना पानी डाले, दरदरा पीस लें। सरसों का साग थोड़ा दरदरा ही पीसा जाता है। बाद में उसे पकाते वक़्त कलछी से थोड़ा घोंटा जाता है।
- अब एक मिट्टी के बर्तन में या किसी पैन या कड़ाही में 2 टेबल - स्पून घी और 1 टेबल- स्पून बटर डालकर धीमी आंच पर गरम कर लें।
- जब घी और बटर अच्छे से गरम हो जाए तब बारीक कटा लहसून डाल दें और धीमी आंच पर लहसून को चलाते हुए गोल्डेन ब्राऊन होने और अच्छी सी खुशबू आने तक पका लें। ध्यान रखें कि हमें लहसून को जलाना नहीं है, बस लाल करना है , नहीं तो साग का टेस्ट खराब हो जाएगा ।
- जब लहसून पक जाए तब कड़ाही में बारीक कटा अदरक और हरी मिर्च डाल दें और उसे भी धीमी आंच पर पका लें।
- इसके बाद कड़ाही में बारीक कटी प्याज़ डाल दें और उसे भी धीमी आंच पर गोल्डेन ब्राऊन होने तक पका लें।
- बहुत से लोग सरसों का साग बनाते वक़्त टमाटर का इस्तेमाल भी करते हैं। मैं सरसों के साग में टमाटर का इस्तेमाल नहीं करती , क्यूंकि उससे एक तो साग का रंग थोड़ा लाल हो ज्यादा है , दूसरे इसके स्वाद में भी थोड़ा परिवर्तन हो जाता है। अगर आप भी टमाटर डालना चाहें तो प्याज़ पकने के बाद एक टमाटर को धोकर , बारीक - बारीक काट लें और उसे भी कड़ाही में डालकर पका लें।
- जब प्याज़ पक जाए तब उसमें पिसा हुआ सारा साग उठाकर डाल दें और अच्छे से मिक्स कर दें। धीमी आंच पर साग को 5 मिनट तक पकने दें।
- इसके बाद साग में 1 टेबल - स्पून मक्के का आटा भी डाल दें और उसे भी अच्छे से साग में मिक्स कर दें। मक्के के आटे को डालने से साग में गाढ़ापन आता है।
- धीमी आंच पर घोंटते और चलाते हुए साग को ढँककर 10- 15 मिनट के लिये पकने दें।
- 10 मिनट बाद कड़ाही का ढक्कन हटाकर सरसों के साग में स्वादानुसार नमक डाल दें। मैं यहाँ आपको एक सुझाव देना चहुंगी कि नमक थोड़ा हल्का ही रखें , क्यूंकि एक तो साग में सोडियम की भी थोड़ी मात्रा पायी जाती है, दूसरा हमने साग में बटर का इस्तेमाल भी किया है, उसमें भी नमक होता है। इसलिए एक बार थोड़ा नमक डाल , मिक्स करके टेस्ट कर लें अगर नमक कम लग रहा है तो ही नमक की मात्रा बढ़ाएँ ,अन्यथा नहीं।
- 5 मिनट तक पकाकर गैस बंद कर दें। स्वादिष्ट सरसों का साग बनकर तैयार है। इसे सर्व करने से पूर्व इसमें एक फाइनल तड़का लगाकर तब सर्व करें।
- इसके लिए एक तड़का पैन में 2 टेबल- स्पून घी डालकर गरम कर लें। अब उसमें 1/2 टी- स्पून कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर और 1 टेबल- स्पून कसूरी मेथी डालकर तड़का लें और उसे सरसों के साग के ऊपर डाल दें और मिक्स कर दें।
- स्वादिष्ट सरसों का साग मक्के की रोटी , प्याज़, गुड़ और हरी मिर्च के साथ सर्व करें।
- मक्के का आटा ;- 2 कप
- नमक ;- 1/2 टी- स्पून
- गरम पानी ;- आवश्यकतानुसार [ आटा गूँथने के लिए ]
- सफ़ेद मक्खन या घी ;- रोटी पर लगाने के लिए
- सबसे पहले 2 कप मक्के के आटे को एक परात में निकाल लें और नमक डालकर मिक्स कर दें।
- अब उसके बाद थोड़ा - थोड़ा हल्का गरम पानी डालते हुए आटा गूँथकर तैयार कर लें। आटा न तो ज्यादा कड़ा गूँथें और न ही ज्यादा नरम । आटे को कम से कम 5- 7 मिनट तक मसलते हुए गूँथें, क्यूंकि जितना ज्यादा आटे की मड़ाई होती है, आटा उतना ज्यादा नरम व चिकना होता है और उसकी रोटियाँ भी नरम नरम व फूली - फूली बनती हैं।
- आटा गूँथते वक़्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पानी हल्का गरम हो तभी मक्के के आटे में बाइंडिंग आएगी। अगर आप ठंडे पानी से आटा गूंथेंगे तो आटे में लचीलापन नही आएगा और आपकी रोटियाँ बार - बार टूटेंगी और फटेंगी।
- बहुत से लोग मक्के के आटे में गेंहू का आटा मिलाते हैं। लेकिन गरम पानी से गूँथकर केवल मक्के के आटे की रोटियाँ भी आराम से बिना किसी परेशानी के बनाई जा सकती हैं।
- आटे को ढँककर 5 मिनट के लिए सेट होने के लिए रख दें।
- 5 मिनट बाद एक बार फिर से मसलकर आटे को चिकना कर लें और आटे में से एक बड़े नींबू के बराबर लोई लेकर थोड़ा सूखे मक्के के आटे में लगाकर चकले व बेलन से बेलकर रोटी तैयार कर लें।
- पहले से ही गैस पर तवा गरम होने के लिए रख दें। जब रोटी बेलकर तैयार हो जाए तब गरम तवे पर डाल दें और दोनों तरफ से पलट - पलटकर और गैस पर फुलाकर रोटी बनाकर तैयार कर लें। रोटी सेंकते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि तवा बहुत ज्यादा गरम न हो , नहीं तो रोटी तवे पर चिपक जाएगी और पलटते वक़्त टूट जाएगी। तवा हल्का गरम ही रखें।
- अगर आपके पास गैस तंदूर हो तो उस पर मक्के के आटे की रोटियाँ बनाएँ, तंदूर में पकी रोटी का स्वाद ही अलग होता है। न हो तो भी गैस पर भी फूली - फूली रोटियाँ आराम से बन जाती हैं।
- रोटी में ऊपर से घी या सफ़ेद मक्खन लगाकर तब सर्व करें। ऐसे ही सारी रोटियाँ बनाकर तैयार कर लें।
- स्वादिष्ट , नरम - नरम व फूली - फूली मक्के की रोटी बनकर तैयार है । इसे सरसों के साग , गुड़ , प्याज़ और हरी मिर्च के साथ सर्व करें।
बहुत ही अच्छा और स्वाद इस्ट racipy बताने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यबाद
ReplyDeleteVary good👍👍
ReplyDeleteDelicious😋😋
ReplyDeleteHi thankks for sharing this
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