नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम पश्चिम बंगाल का प्रसिद्ध डेज़र्ट मिष्टी दोई बनाएँगे। बंगाली भाषा में मिष्टी का अर्थ होता है - मीठा और दोई का अर्थ होता है - दही। अतः मिष्टी दोई एक प्रकार का मीठा दही या स्वीट योगर्ट है, जिसे पश्चिम बंगाल में हर विशेष अवसर पर बनाया ही जाता है। दोस्तों, गर्मियों में दही खाना हम सभी को बेहद पसंद होता है। दही से बनी लस्सी , छाछ , रायते आदि हमारे खाने के स्वाद को दोगुना कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दही सिर्फ हमारे खाने में जायका बढ़ाने का काम ही नहीं करती है , बल्कि इसमें बहुत से ऐसे पोषक तत्व पाये जाते हैं , जो इसे सुपर फूड की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देते हैं। दही में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम , प्रोटीन , विटामिन A , विटामिन B6 , विटामिन B12 , ज़िंक , लैक्टोज़ , आयरन , फ़ोस्फोरस , पोटैशियम और मैग्नीशियम पाये जाते हैं। इसके अलावा दही को एक उत्कृष्ट प्रो - बायोटिक भी माना जाता है, जिससे हमारा पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है, इम्यूनिटी बढ़ती है , गर्मी से राहत मिलती है, हड्डियाँ व दाँत मजबूत होते हैं और वजन नियंत्रित रहता है और अगर दही को मिष्टी दोई का रूप दे दिया जाय , तो स्वाद और सेहत दोनों बढ़ जाते हैं।
मिष्टी दोई की उत्पत्ति बांग्लादेश के बोगरा जिले में हुई मानी जाती है और वहाँ से इस डिश ने भारत तक का सफर तय किया है। आज मिष्टी दोई बंगाल की आत्मा में रच - बस चुकी है। बंगाली कुजिन मिष्टी दोई के बिना बिलकुल अधूरा सा माना जाता है। शादी- पार्टी हो या कोई पूजा - उपवास , कोई मेहमान घर आ रहा हो या कोई त्यौहार हो , बंगाल में मिष्टी दोई हर विशेष अवसर पर बनाई जाती है। वैसे भी हमारे भारतीय समाज में प्रत्येक शुभ कार्य से पहले दही - चीनी खाने की परंपरा है। भारत में बंगाल के अलावा मिष्टी दोई असम , ओडिशा और त्रिपुरा राज्यों में भी बनाई जाती है। आजकल तो मिष्टी दोई पूरे भारतवर्ष में ही अपने अनूठे स्वाद की मिठास घोल रही है और सभी आयु - वर्ग के लोगों द्वारा बहुत पसंद भी की जा रही है। मिष्टी दोई बनाने की विधि आम दही से थोड़ी अलग होती है, जिसके कारण यह डिश खास बन जाती है। इसे बनाने के लिए हमें सिर्फ 3 - 4 चीज़ों की ही आवश्यकता होती है लेकिन इसका स्वाद इतना लाजवाब होता है कि एक बार इसे खाने के बाद बार - बार खाने की इच्छा होती है। मिष्टी दोई बनाने के लिए पहले फूल क्रीम दूध को गाढ़ा होने तक पकाया जाता है, फिर उसमें कैरेम्लाइज्ड चीनी या गुड़ डालकर दूध को मीठा किया जाता है और इसके बाद थोड़ा ठंडा हो जाने पर दूध में हंग कर्ड का जामन डालकर दही को सेट होने के लिए ढँककर रख दिया जाता है। यह मिष्टी दोई बनाने का पारंपरिक तरीका है। इसमें जामन भी आम दही से ज्यादा लगता है। आजकल मिष्टी दोई को भाप में पकाकर भी बनाया जाने लगा है। आज हम पारंपरिक तरीके से ही मिष्टी दोई बनाएँगे। अगर आप गर्मियों में मिष्टी दोई बनाएँ तो दही को सेट होने में 8 - 10 घंटे का समय लगता है और अगर आप सर्दियों में मिष्टी दोई बनाएँ तो दही को सेट होने में 12 -14 घंटों का समय भी लग सकता है। सर्दियों में मिष्टी दोई जमाते समय बर्तन को किसी शाल या टॉवल से लपेटकर किसी गरम स्थान पर रख दें। दही अच्छे से सेट हो जाएगी। दही जमाने में बर्तन की भी विशेष भूमिका होती है। फिर चाहे आप सादी दही जमा रहे हों या फिर मिष्टी दोई। दही जमाने के लिए हमेशा मिट्टी के बर्तनों का ही चयन करें। इससे दही अच्छी बनती है, क्यूंकि मिट्टी दूध में मौजूद अतिरिक्त पानी को सोख लेती है और दही गाढ़ी जमती है। वैसे तो आपको मार्केट में बड़ी आसानी से कई कंपनियों की मिष्टी दोई मिल ही जाएंगी , लेकिन घर की बनी मिष्टी दोई की बात ही निराली होती है और इसे बनाना भी काफी आसान होता है और इस रेसिपी में हमने मिष्टी दोई बनाने के सारे टिप्स और ट्रिक्स भी बताए हैं , जिनका इस्तेमाल करके आप घर पर आसानी से बेहतरीन मिष्टी दोई तैयार कर पाएंगे। तो चलिये स्वाद और सेहत से भरपूर बंगाल की प्रसिद्ध पारंपरिक मिष्टी दोई बनाना शुरू करते हैं।
सामग्री
- फूल क्रीम दूध - 1 लीटर
- हंग कर्ड - 1 कप
- चीनी - 1/2 कप
- ईलाईची पाउडर - 1/4 टी- स्पून
- सबसे पहले दूध को एक मोटी तली के बर्तन में उबलने के लिए गैस पर रख दें।
- जब दूध में एक उबाल आ जाए तब गैस की आंच को लो - मीडियम कर दें और बीच - बीच में चलाते हुए दूध को 3/4 होने तक पका लें।
- जब तक दूध गाढ़ा हो रहा है, तब तक गैस की दूसरी तरफ चीनी को कैरेम्लाइज़्ड़ कर लें। इसके लिए एक पैन को गैस पर धीमी आंच पर रखें और उसमें चीनी डाल दें। पानी वगैरह कुछ भी नहीं डालना है।
- धीमी आंच पर चीनी को चलाते हुए तब तक पकाएँ जब तक चीनी का रंग बिल्कुल ब्राऊन न हो जाए। जब आप चीनी को पकाना शुरू करेंगे तो आप देखेंगे कि चीनी पहले पिघलकर लिक्विड होगी और फिर धीरे- धीरे इसका रंग बदलने लगेगा और जब चीनी का रंग बिल्कुल ब्राऊन हो जाए और चाशनी थोड़ी गाढ़ी हो जाए ,तब गैस बंद कर दें। चीनी को कैरेम्लाइज़्ड़ करने में धीमी आंच पर 5-6 मिनट का समय लग जाता है।
- तब तक एक जाली या सूती कपड़े में 1 कप दही को डालकर रख दें , जिससे दही का अतिरिक्त पानी निकल जाए और हमें गाढ़ा हंग कर्ड प्राप्त हो जाए। दही से निकले पानी को फेंके नहीं, यह पानी बहुत पौष्टिक होता है। इसका इस्तेमाल दाल , सब्जी बनाने में या आटा गूँथने में कर लें। दही या पनीर को बनाने में निकले पानी से ही मार्केट में मिलने वाला सबसे महंगा Whey Protein बनता है।
- ध्यान रखें कि मिष्टी दोई बनाने के लिए हमें ताजी दही का उपयोग ही करना है। खट्टी दही बिल्कुल भी न लें।
- जब दूध गाढ़ा होकर 3/4 रह जाए तब दूध का गैस भी बंद कर दें और कैरेम्लाइज़्ड़ शुगर में पहले 2 कलछी दूध डालकर चला दें। एक साथ पूरा दूध नहीं डालना है। दूध थोड़ा - थोड़ा करके ही मिलाएँ और चलाते जाएँ।
- जब आप शुगर में दूध मिक्स करेंगे तब आप देखेंगे कि दूध में गुठली पड़ रही है, लेकिन घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। लगातार चलाते रहने से दूध में पड़ी गुठली समाप्त हो जाएगी और दूध कैरेम्लाइज़्ड़ शुगर में अच्छे से मिक्स होकर भूरे रंग का हो जाएगा।
- इसके बाद चाशनी में बाकी बचा हुआ दूध भी धीरे - धीरे करके डाल दें और ईलाईची पाउडर भी डालकर मिक्स कर दें।
- दूध को थोड़ा ठंडा होने के लिए छोड़ दें । एकदम गरम दूध में जामन न लगाएँ।
- तब तक हंग कर्ड को एक बाउल में निकाल लें और एक चम्मच या व्हिसकर की मदद से तब तक फेंटे, जब तक दही का बिल्कुल क्रीमी टेक्सचर न आ जाए।
- दूध में 4 -5 बार कलछी से ऊपर - नीचे करके झाग बना लें।
- जब दूध गुनगुना से थोड़ा ज्यादा गरम रह जाए तब दूध में जामन लगा दें। जामन लगाते वक़्त भी एक साथ पूरा दही न डालें, थोड़ा - थोड़ा करके ही डालें और चलाते जाएँ , नहीं तो दही दूध में अच्छे से मिक्स नहीं होगी।
- ध्यान रखें कि जामन लगाते वक़्त दूध अच्छा गरम हो , ज्यादा ठंडा न होने पाये नहीं तो मिष्टी दोई अच्छे से सेट नहीं होगी और अगर दूध बहुत ज्यादा गरम हुआ तो दही पानी छोड़ देगी। दही जमाने के लिए दूध इतना गरम होना चाहिए कि जब हम उसे उंगली से छूएँ तो हमें गरम महसूस हो।
- इसके बाद दूध को एक मिट्टी के बर्तन में डालकर , ढँककर 8 - 10 घंटे या रात भर के लिए सेट होने के लिए किसी गरम स्थान पर रख दें।
- सुबह तक अच्छे से मिष्टी दोई सेट होकर तैयार हो जाएगी। इसे तुरंत न खाएं, क्यूंकि मिष्टी दोई ठंडी ही खाई जाती है। इसे उठाकर फ्रिज में 3 -4 घंटे के लिए रख दें।
- दोपहर के लंच तक शानदार मिष्टी दोई बनकर तैयार है। ठंडा - ठंडा सर्व करें।
Great recipe. Easy to follow and make
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी तरह समझा ने के लिए बहुत धन्यबाद
ReplyDeleteमै ऐसा बनाने की कोशिश करूँगी
ReplyDeleteमैं इस स्वादिष्ट और पौष्टिक रेसिपी को आजमाना चाहूँगा!
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