नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम मुंबई की प्रसिद्ध स्ट्रीट स्टाइल पानीपूरी बनाएँगे। पानीपूरी पूरे भारत में पसंद की जाती है। यह भारत का ऑल टाईम फेवरेट स्नैक्स है। लोग इसे शाम के समय खाना पसंद करते हैं। पानीपूरी का शाब्दिक अर्थ होता है - पानी की रोटी। यह भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रसिद्ध खाद्य है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसे पानीपूरी पसंद नहीं आती होगी। क्या आप जानते हैं कि पूरे भारतवर्ष के विभिन्न प्रान्तों में पानीपूरी को 10 अलग- अलग नामों से जाना जाता है और हर जगह पर इसे बनाने की विधि में भी थोड़ा - बहुत अंतर है, लेकिन स्वाद हर जगह का लाजवाब है। आइये जानते हैं कि भारत के विभिन्न राज्यों में पानीपूरी को किन - किन नामों से जाना जाता है और उन्हें किस प्रकार तैयार किया जाता है।
1- पानीपूरी - महाराष्ट्र , गुजरात , मध्य - प्रदेश , तमिलनाडु और कर्नाटक में इसे पानीपूरी के नाम से जाना जाता है। यहाँ गोल - गोल पूरियों में इमली की मीठी चटनी , उबले आलू , छोले , बूँदी आदि डाला जाता है और पुदीने व विभिन्न प्रकार के मसालों के साथ ठंडा- ठंडा और मजेदार पानी तैयार करके पूरियों में भरकर सर्व किया जाता है।
2- पुचका - कोलकाता में पानीपूरी को पुचका / फुचका कहा जाता है। पुचका को उबले हुए चनों और मसले हुए आलू के मिश्रण से बनाया जाता है। इसकी चटनी खट्टी और पानी मसालेदार होता है। पुचका सामान्य पूरियों की तुलना में थोड़ा बड़ा होता है।
3- पानी के बताशे - पश्चिमी उत्तर - प्रदेश और हरियाणा में पानीपूरी को पानी के बताशों के नाम से जाना जाता है।
4- गोलगप्पे - पूर्वी उत्तर - प्रदेश , बिहार , नई दिल्ली , पंजाब , जम्मू - कश्मीर और हिमांचल प्रदेश में पानीपूरी को गोलगप्पे के नाम से जाना जाता है। गोलगप्पों को भी आलू व सफ़ेद मटर के छोलों के साथ बनाया जाता है और पानी को तीखा और खट्टा रखा जाता है। गोलगप्पों में चटनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
5- गुपचुप - ओडिशा , झारखंड , छत्तीसगढ़ , हैदराबाद व तेलंगाना में पानीपूरी गुपचुप के नाम से मशहूर है। यहाँ भी पानीपूरी को गोलगप्पे की तरह मटर के छोलों के साथ तैयार किया जाता है।
6- पताशी- राजस्थान में पानीपूरी पताशी के नाम से प्रसिद्ध है।
7- टिक्की- टिक्की नाम सुनकर सभी को चाट वाली टिक्की याद आती है, लेकिन मध्य - प्रदेश के होशंगाबाद में पानीपूरी को टिक्की कहा जाता है।
8- पकौड़ी - गुजरात और मध्य - प्रदेश के कुछ स्थानों पर पानीपूरी को पकौड़ी के नाम से जाना जाता है। यहाँ पानीपूरी के पानी में ढेर सारी हरी मिर्च और पुदीना डाला जाता है और ऊपर से नमकीन सेव डालकर सर्व किया जाता है।
9- फुल्की - मध्य भारत के कुछ स्थानों पर इसे फुल्की कहा जाता है।
10- पड़ाका - उत्तर - प्रदेश के अलीगढ़ में पानीपूरी को पड़ाका कहा जाता है।
देश के अलग - अलग स्थानों पर अलग- अलग नामों से मशहूर पानीपूरी अपने अनूठे व चटपटे स्वाद से सभी का दिल जीत लेती है। इसका नाम सुनकर ही मुँह में पानी आने लगता है। बच्चे, बूढ़े, नौजवान कोई भी हों, सभी पानीपूरी के दीवाने होते हैं। महिलाओं का तो यह सबसे पसंदीदा स्ट्रीट फूड है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो पानी पूरी सभी के दिलों पर राज करती है , उसका आविर्भाव कैसे हुआ या सबसे पहले पानीपूरी किसने बनाई। इसके पीछे 3 कहानियाँ प्रचलित हैं;-
पहली कहानी के अनुसार - पानीपूरी की उत्पत्ति महाभारत काल में हुई मानी जाती है। कहा जाता है कि एक बार माता कुंती ने द्रौपदी की पाक - कला और बुद्धिमत्ता की परीक्षा लेने के उद्देश्य से उन्हें बचे हुए सामान से कोई ऐसी चीज बनाने को कहा, जिसमें खट्टा , मीठा और तीखा तीनों फ्लेवर एक साथ मौजूद हों और जिसे खाकर पांडव भी प्रसन्न हो जाएँ। तब द्रौपदी ने ही सबसे पहले पानीपूरी बनाई थी , जिसमें सारे जायके एक साथ मौजूद थे और जिसे खाकर पांडव अत्यंत प्रसन्न व संतुष्ट हो गए थे। इस बात से प्रसन्न होकर माता कुंती ने इस डिश को अमरता का वरदान दिया था।
दूसरी कथा के अनुसार - ग्रीक इतिहासकार मेगस्थनीज [ Megasthenes ] और चीनी बौद्ध यात्री फैक़शीयन [ Faxian ] और जुनजंग [Xuanzang ] की किताबों से उल्लेख मिलता है कि पानीपूरी गंगा के किनारे बसे मगध साम्राज्य में सबसे पहले बनाई गयी थी। आज इसे दक्षिणी बिहार के नाम से जाना जाता है। कहीं- कहीं उल्लेख मिलता है कि पानीपूरी भोलेनाथ की प्राचीन व पवित्र नगरी काशी में सबसे पहले बनाई गयी थी।
तीसरी कथा के अनुसार - तीसरी कथा मुगलकाल से जुड़ी है। कहा जाता है कि जब बादशाह शाहजहाँ दिल्ली के तख्त पर आसीन थे तब उन्होने कई स्थानों पर नहरें बनवाई थीं , जो पूरे शाहजहानाबाद [ आज की दिल्ली ] के लोगों की प्यास बुझाने के काम आती थी, लेकिन एक बार किसी नहर का जल दूषित हो गया और उसे पीकर नगरवासियों को ऊल्टी और दस्त होने लगा। तब शाहजहाँ की बेटी रोशनारा ने शाही हकीम को बुलाकर बीमार लोगों के लिए औषधि बनाने को कहा। शाही हकीम ने पानी से हुई बीमारी को दूर करने के लिए पानी का ही सहारा लिया और पानीपूरी का पानी तैयार किया, जिसे पीकर लोगों की तबीयत में सुधार होने लगा और उनकी बीमारी दूर हो गयी, लेकिन कुछ लोगों को इसका स्वाद इतना पसंद आया कि उन्होने इसे छोटी - छोटी पूरियों में भरकर खाना शुरू कर दिया और इस तरह जन्म हुआ एक ऐसी शानदार डिश का जो आज भी सबके दिलों पर राज कर रही है।
अब इन कहानियों में कितनी सच्चाई है, ये तो नहीं मालूम , लेकिन इतना जरूर पता है कि किसी का भी मन ललचाने के लिए इसका सिर्फ नाम ही काफी है। वैसे तो पानीपूरी के ठेले हर गली- नुक्कड़ पर आपको मिल ही जाएंगे, लेकिन इसे घर पर भी आसानी से बनाया जा सकता है और घर पर बनी पानीपूरी बाहर की तुलना में ज्यादा स्वादिष्ट और साफ - सफाई से बनती है। तो चलिये सभी की ऑल टाईम फेवरेट मुंबई [ महाराष्ट्र ] की फेमस स्ट्रीट स्टाइल पानीपूरी बनाना शुरू करते हैं।
सामग्री - पानीपूरी की पूरी तैयार करने के लिए
- सूजी - 1 कप
- मैदा - 2 टेबल- स्पून
- नमक - 1/2 टी- स्पून
- गुनगुना पानी - आटा गूँथने के लिए [ आवश्यकतानुसार ]
- बेकिंग सोडा - 1/4 टी- स्पून
- तेल - 2 टेबल - स्पून [ मोयन देने के लिए ]
- तेल - पूरियाँ तलने के लिए
विधि
- सबसे पहले एक परात में सूजी , मैदा , नमक और बेकिंग सोडा ले लें और चम्मच से एक बार सूखा ही मिक्स कर दें।
- अब आटे में 2 टेबल - स्पून तेल डाल दें और हाथों की मदद से अच्छे से मसलते हुए आटे के कण - कण में मोयन लगा दें।
- इसके बाद हल्का - गुनगुना पानी डालते हुए पूरी जैसा सख्त आटा गूँथकर तैयार कर लें।
- आटे को एक गीले कपड़े से ढँककर 25 - 30 मिनट के लिए रेस्ट करने के लिए छोड़ दें। तब तक आप पानीपूरी का पानी , उसकी स्टफिंग और चटनी आदि तैयार कर लें।
- 25 - 30 मिनट बाद कपड़ा हटाकर एक बार फिर से आटे को मसलकर चिकना कर लें और आटे से छोटे नींबू के आकार की लोइयाँ तोड़ लें। इतने आटे से 50- 60 पूरियाँ बन जाएंगी।
- अब एक - एक लोई उठाते जाएँ और बेलते जाएँ। बाकी लोइयों को गीले कपड़े से ढँककर रखें, नहीं तो उनके ऊपर की परत सूख जाएगी।
- तब तक मीडियम आंच पर तेल गरम होने के लिए रख दें।
- आंच मीडियम रखें और पूरियाँ तलने के लिए तेल भी मीडियम गरम होना चाहिए।
- एक - एक करके कड़ाही में एक बार में 7-8 पूरियाँ डाल दें और उन्हें सुनहरा तथा क्रिस्प होने तक तलकर निकाल लें।
- ऐसे ही सारी पूरियाँ बनाकर तैयार कर लें। फूली - फूली करारी पूरियाँ बनकर तैयार हैं।
- पानी- 3 कप
- ताजे पुदीने की पत्तियाँ - 1/2 कप
- हरी धनिया - 1 कप
- हरी मिर्च - 2
- अदरक - 1 इंच टुकड़ा
- सफ़ेद नमक - स्वादानुसार
- काला नमक - 1 टी- स्पून
- चाट मसाला - 2 टी - स्पून
- हींग पाउडर - चुटकी भर
- भुना जीरा पाउडर - 1 टेबल- स्पून
- नींबू का रस - 2 टी- स्पून
- खारा बूंदी - 1/2 कप
- सबसे पहले मिक्सर के जार में धनिया , पुदीना , अदरक , हरी मिर्च और थोड़ा सा पानी डालकर चटनी पीस लें।
- इसके बाद चटनी को एक बड़े बाउल में निकाल लें और उसमें 3 कप पानी , सफ़ेद नमक , काला नमक, चाट मसाला, हींग पाउडर , भुना जीरा पाउडर और नींबू का रस डालकर मिक्स कर दें।
- 1/2 घंटे के लिए ढँककर फ्रिज में रख दें। ठंडा - ठंडा चटपटा , मसालेदार पानी बनकर तैयार है।
- अगर आपको पानीपूरी तुरंत सर्व करनी हो तो जब चटनी पीस रहे थे तभी 3-4 टुकड़े बर्फ के भी डालकर साथ में ही पीस लें और पानी में भी 4-5 टुकड़े बर्फ के डाल दें।
- खारा बूंदी सर्व करने के टाइम पर ही डालें और तुरंत सर्व करें।
- इमली का पल्प - 1 कप
- कुटा हुआ गुड - 2 कप
- काला नमक - 1/2 टी- स्पून
- काली मिर्च पाउडर - 1/4 टी- स्पून
- हींग पाउडर - चुटकी भर
- भुना जीरा पाउडर - 1/2 टी- स्पून
- चाट मसाला - 1/2 टी - स्पून
- सौंफ पाउडर - 1/2 टी- स्पून
- सोंठ पाउडर- 1/2 टी- स्पून
- लाल मिर्च पाउडर - 1/4 टी- स्पून
- तेल- 1 टी- स्पून
- सबसे पहले कड़ाही में 1 टी- स्पून तेल डालकर धीमी आंच पर गरम होने के लिए रख दें।
- जब तेल अच्छे से गरम हो जाए तब उसमें इमली का पल्प और गुड़ डाल दें और धीमी आंच पर चलाते हुए तब तक पकाएँ जब तक गुड़ अच्छे से पिघल न जाए।
- जब गुड़ पिघल जाए तब चटनी में बाकी की सारी सामग्रियाँ जैसे;- काला नमक, काली मिर्च पाउडर, हींग पाउडर, भुना जीरा पाउडर , चाट मसाला , सौंफ पाउडर, सोंठ पाउडर और लाल मिर्च पाउडर डालकर अच्छे से मिक्स कर दें और धीमी आंच पर ढंककर 5-7 मिनट तक पका लें।
- चटनी को ज्यादा गाढ़ा न करें, क्यूंकि जैसे जैसे चटनी ठंडी होगी वैसे - वैसे अपने आप गाढ़ी होती जाएगी।
- जब सारी चीजें अच्छे से पक जाएँ ,चटनी में उबाल आ जाए और चटनी हल्की गाढ़ी हो जाए, तब गैस बंद कर दें।
- स्वादिष्ट चटनी बनकर तैयार है। ठंडा हो जाने पर इस्तेमाल करें।
- इस चटनी को एक एयर- टाइट ग्लास जार में डालकर फ्रिज में रख दें। फ्रिज में रखकर यह चटनी 6-7 महीने तक भी इस्तेमाल की जा सकती है, क्यूंकि चटनी बनाते वक़्त पानी का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया गया है। इस चटनी को न केवल पानीपूरी बल्कि समोसे ,चाट ,पकौड़े, दही - भल्ले आदि किसी के साथ भी सर्व किया जा सकता है।
- उबले व मैश किए हुए बड़े साइज़ के आलू - 4
- बारीक कटी मीडियम साइज़ की प्याज़ - 2
- बारीक कटी धनिया पत्ती - 1 टेबल- स्पून
- बारीक कटी हरी मिर्च - 2
- नमक - स्वादानुसार
- लाल मिर्च पाउडर- 1/4 टी- स्पून
- भुना जीरा पाउडर - 1/2 टी- स्पून
- चाट मसाला - 1/2 टी- स्पून
- सबसे पहले 4 बड़े साइज़ के आलुओं को उबालकर , छीलकर मैश कर लें।
- अब उसमें बारीक कटी प्याज़ , बारीक कटी धनिया पत्ती , बारीक कटी हरी मिर्च , स्वादानुसार नमक , लाल मिर्च पाउडर , भुना जीरा पाउडर और चाट मसाला डालकर अच्छे से हाथों से मिक्स कर दें।
- स्वादिष्ट आलू की स्टफिंग बनकर तैयार है। आप चाहें तो इस स्टफिंग में 2 टेबल- स्पून उबली हुई हरी मूंग भी डाल सकते हैं।