नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम पंचामृत और पंजीरी का प्रसाद बनाएँगे। पंजीरी व पंचामृत का प्रसाद भगवान श्री हरि विष्णु की सभी पूजाओं जैसे;- सत्यनारायण , भागवत , जन्माष्टमी आदि में विशेष रूप से बनाया जाता है। वैसे पंचामृत से भगवान रुद्र अर्थात शिव जी व अन्य सभी देवी देवताओं का विशेष अवसरों पर अभिषेक भी किया जाता है। बस तुलसी का प्रयोग नहीं होता है, क्यूंकि किसी भी प्रसाद में तुलसी डालने से वह चीज नारायण को समर्पित हो जाती है। पंचामृत मुख्य रूप से अमृत तुल्य पाँच चीजों से मिलकर बनता है। जैसे;- गाय का कच्चा दूध , गाय के दूध से बनी दही , गाय का घी, शक्कर और शहद । इसलिए इसे पंचामृत कहा जाता है। अगर आपके पास गाय का दूध , दही , घी इत्यादि उपलब्ध न हो तो मार्केट में मिलने वाले पैकेट के दूध , दही और घी का प्रयोग भी किया जा सकता है। गंगाजल भी इसमें मुख्य रूप से प्रयुक्त होता है। जब पंचामृत को प्रभु के श्री चरणों में अर्पण किया जाता है, तो फिर यही पंचामृत , चरणामृत बन जाता है। आप चाहें तो इसमें कुछ सूखे मेवों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, लेकिन यह बिल्कुल वैकल्पिक है। वैसे अगर आप ड्राइ फ्रूट्स का इस्तेमाल करेंगे , तो न केवल पंचामृत का स्वाद बढ़ जाएगा बल्कि पंचामृत और ज्यादा पौष्टिक भी हो जाएगा। प्रसाद में जितना अधिक महत्व पंचामृत का होता है , उतना ही अधिक महत्व उस पात्र या बर्तन का भी होता है, जिसमें पंचामृत बनाया या रखा जाता है। पंचामृत के लिए सबसे अच्छा चांदी का बर्तन माना जाता है। अगर चांदी का बर्तन न हो तो पंचामृत को स्टील या मिट्टी के पात्र में भी बनाया या रखा जा सकता है। लेकिन भूलकर भी पंचामृत को तांबा , पीतल , अष्टधातु या पंचधातु के बर्तन में न रखें, क्यूंकि इसमें डाली जाने वाली सामग्रियाँ जब इन धातुओं के संपर्क में आती हैं , तो सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं।
पंजीरी भी आटे को घी में भूनकर और शक्कर व विभिन्न प्रकार के सूखे मेवों को मिलाकर बनाया जाने वाला एक मीठा चूर्ण होता है, जो प्रभु को अर्पित करने के बाद भोग स्वरूप श्रद्धालुओं द्वारा ग्रहण किया जाता है। ये दोनों ही प्रसाद न केवल बहुत ज्यादा स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि सेहतमंद भी होते हैं और इनका सेवन करने से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक भावों की भी उत्पत्ति होती है। तो चलिये स्वाद और सेहत से भरपूर पंचामृत और पंजीरी प्रसाद बनाना शुरू करते हैं।
1- पंचामृत
सामग्री
- कच्चा दूध - 1/2 लीटर
- ताजी दही - 1/2 कप
- घी - 1/4 टी- स्पून
- शक्कर - 1/4 कप
- शहद - 1 टी- स्पून
- गंगाजल - 1टेबल - स्पून
- मखाने - 8-10 [ 2-3 टुकड़ों में कटे हुए ]
- तुलसी - 7-8 पत्ते [ 2-3 टुकड़ों में कटी हुई ]
- चिरौंजी - 1 टी- स्पून
- कद्दूकस किया हुआ सूखा नारियल - 1 टेबल- स्पून
- सबसे पहले एक पात्र या बर्तन में जिसमें पंचामृत बनाना है, उसमें गंगाजल डालें। पंचामृत बनाने के लिए गंगा जल ही सबसे पहले डाला जाता है।
- गंगाजल के बाद कच्चा दूध और शक्कर डालकर अच्छे से शक्कर के घुलने तक मिक्स कर लें। आप चाहें तो पाउडर चीनी या गुड़ का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ध्यान रहे कि दूध कच्चा ही हो।
- इसके बाद पंचामृत में घी, शहद , मखाने , चिरौंजी और कद्दूकस किया हुआ नारियल भी डाल दें और अच्छे से सारी चीजों को मिक्स कर दें।
- इसके बाद पंचामृत में ताजी दही को हल्का सा फेंटकर डाल दें और मिक्स कर दें। ध्यान रखें कि दही एकदम ताजी हो। खट्टी दही का इस्तेमाल न करें और न ही दही को बहुत ज्यादा फेंटे। पंचामृत में दही के छोटे - छोटे कण जब मुँह में आते हैं, तब बहुत अच्छे लगते हैं।
- तुलसी के पत्ते तभी डालें , जब प्रभु को अर्पित करना हो। वैसे आप चाहें तो स्वाद बढ़ाने के लिए तुलसी के कुछ पत्ते डाल भी सकते हैं।
- अच्छे से सारी चीजों को मिक्स कर दें। स्वादिष्ट और अमृततुलय पंचामृत बनकर तैयार है। प्रभु को अर्पित करने के बाद सभी लोगों को प्रसाद स्वरूप वितरित करें।
- गेहूं का आटा - 1 कप
- घी - 1/4 कप
- शक्कर / बूरा / पीसी चीनी - 1/2 कप
- मखाने - 10 -12 [ 2-3 टुकड़ों में कटे हुए ]
- ईलाईची पाउडर- 1/2 टी- स्पून [ वैकल्पिक ]
- तुलसीदल - 7-8
- बारीक कटे काजू , किशमिश , बादाम और पिस्ते - 2-3 टेबल - स्पून
- सबसे पहले एक कड़ाही में घी डालकर गरम कर लें और जब घी अच्छे से गरम हो जाए तब उसमें सारे सूखे मेवे डालकर धीमी आंच पर 30 सेकेंड्स के लिए भूनकर निकाल लें।
- अब उसी कड़ाही में गेहूं का आटा डाल दें और उसे भी धीमी आंच पर गुलाबी होने और अच्छी खूशबू आने तक लगातार चलाते हुए भून लें।
- जब आटा अच्छे से भुन जाए तब गैस बंद कर दें और आटे को एक प्लेट में ठंडा होने के लिए निकाल लें।
- जब आटा हल्का सा ठंडा हो जाए तब उसमें चीनी , ईलाईची पाउडर और सारे सूखे मेवे डालकर मिक्स कर दें। ध्यान रखें कि अगर हम गरम आटे में ही शक्कर मिक्स कर देंगे तो शक्कर पिघलने लगेगी और पंजीरी का स्वाद खराब हो जाएगा। आप चाहें तो शक्कर के स्थान पर पीसी चीनी या बूरा चीनी का उपयोग भी कर सकते है।
- तुलसी के पत्ते भोग लगाने के वक़्त ही डालें।
- स्वादिष्ट पंजीरी बनकर तैयार है।
Wah!! Very nice
ReplyDeleteVery easy and tasty recipe
ReplyDeleteVary good💕👍 aur easy recipe
ReplyDeleteSatvikta se bherpur prasaad
ReplyDeleteI love these prasads. Thank you so much for sharing very easy recipe😋
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