नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम भाई - बहन के स्नेह के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में उत्तर भारत में फेमस परवल की मिठाई बनाएँगे। दोस्तों, रक्षाबंधन का त्योहार आने वाला है। आप सभी भाई - बहनों को रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएँ। हिन्दू धर्म संस्कृति के अनुसार रक्षाबंधन प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को ही प्रसिद्ध अमरनाथ यात्रा का समापन भी होता है। इस दिन बहनें अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं , उन्हें राखी बाँधती हैं, उन्हें मिठाई खिलाकर उनका मुँह मीठा करवाती हैं और अपने भाई की लंबी उम्र और सर्व - मंगल की कामना करती हैं। बदले में भाई भी अपनी प्यारी बहनों को यथासंभव उपहार देते हैं और उनकी हर परिस्थिति में रक्षा करने का वचन देते हैं। रक्षाबंधन भाई - बहन के परस्पर प्रेम , विश्वास , सहयोग और स्नेह का त्योहार है। इसे '' राखी '', ''सलूनी '' और ''श्रावणी '' आदि नामों से भी जाना जाता है। इसे न केवल भारत में बल्कि नेपाल में भी मनाया जाता है। भारत में तो रक्षाबंधन मनाने की परंपरा अनंत वर्षों से चली आ रही है। स्कन्द पुराण , पद्म पुराण और भागवत पुराण में कई जगहों पर इसका स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
श्रीमद भागवत में वामनावतार नामक कथा में रक्षाबंधन का प्रसंग मिलता है। कथा के अनुसार एक बार दानवीर असुरराज बलि ने 100 यज्ञों को पूर्ण करने का संकल्प लिया। जब बलि 99 यज्ञ पूर्ण कर 100 वाँ यज्ञ कर रहे थे तो देवराज इंद्र को अपना सिंहासन छिन जाने का भय हुआ, क्यूंकि अगर बलि 100 यज्ञ पूर्ण कर लेते तो वे त्रिलोक विजेता बन सकते थे। इसी डर से देवराज इन्द्र सभी देवताओं के साथ श्री हरी विष्णु की शरण में पहुंचे और उन्हें अपनी परेशानी व भय का कारण बताया। तब विष्णु भगवान ने इंद्र को सहायता का वचन दिया और देवताओं के अनुरोध पर वामन अवतार लेकर 100 वाँ यज्ञ कर रहे बलि के पास पहुंचे और उनसे 3 पग भूमि दानस्वरूप मांगी। अपने गुरु के कई बार मना करने पर भी बलि ने उन्हें तीन पग धरती दान में देने का निर्णय कर लिया। तब प्रभु ने विराट रूप धारण कर एक पग में स्वर्ग लोक और दूसरे पग में पृथ्वी और पाताल लोक नाप लिया। तीसरा पग कहीं रखने की जगह न होने से बलि बहुत लज्जित हुए और उन्होने तीसरा पग अपने सिर पर रखवा लिया। इस घटना के बाद बलि रसातल में चले गए और उन्होने स्वर्ग या पृथ्वी लोक पर राज्य न करने का निर्णय लिया । उनकी इस दानवीरता और सहृदय व्यवहार से विष्णु भगवान इतने प्रसन्न हुए कि उन्होने बलि से कुछ वरदान मांगने को कहा। तब बलि ने अपनी श्रद्धा और भक्ति के बल पर नारायण से दिन रात अपने सम्मुख रहने का वचन ले लिया। इधर क्षीरसागर में जब नारायण नहीं लौटे तब देवी लक्ष्मी को बहुत चिंता होने लगी। तब देवर्षि नारद के सुझाव पर उन्होने पाताल लोक में जाकर असुरराज बलि को अपना भाई बना लिया और उन्हें राखी बांधी और उपहार स्वरूप बलि से अपना पति मांग लिया। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। बस तभी से बहनें अपने स्नेह का धागा अपने भाई की कलाई पर बाँधती हैं और उनसे उपहार पाती हैं।
इसके अलावा एक कथा महाभारत में भी प्रचलित है। कहा जाता है कि एक बार शिशुपाल वध के दौरान सुदर्शन चक्र से भगवान श्री कृष्ण की उंगली में चोट लग गयी और उंगली से रक्त की धारा बहने लगी। तब द्रौपदी ने अपने साड़ी के आँचल को फाड़कर श्री कृष्ण की उंगली पर पट्टी बांध दी। जिससे प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वे समय आने पर एक - एक सूत का कर्ज अदा करेंगे और हर परिस्थिति में द्रौपदी की रक्षा व सहायता करेंगे और द्रौपदी - चीरहरण के दौरान उन्होने द्रौपदी की साड़ी बढ़ाकर न सिर्फ उनकी लाज बचाई बल्कि अपना वचन भी निभाया। उस दिन भी श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। इसके अलावा भी रक्षाबंधन से संबन्धित अनेकों कथाएँ इतिहास में भी प्रचलित हैं।
इस दिन घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान बनते हैं, जिनमें सबसे खास होती हैं - मिठाइयाँ। वैसे तो मार्केट में इस दिन नाना प्रकार की मिठाइयों की धूम रहती है लेकिन फिर भी अपने प्यारे भाई के लिए अपने हाथों से मिठाई बनाने की बात ही कुछ और होती है। इसलिए आज हम परवल की मिठाई बनाएँगे। यह मिठाई परवल , मावा और कुछ ड्राई - फ्रूट्स से बनती है जो खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है। इस मिठाई की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि यह कम समय में और आसानी से बनकर तैयार हो जाती है। तो चलिये अपने भाई के लिए प्यार से परवल की मिठाई बनाते हैं अपने परस्पर स्नेह की डोरी को और मजबूत करते हैं।
सामग्री
- हरे - हरे ताजे परवल - 500 ग्राम
- पाउडर चीनी - 1/4 कप
- मावा / खोवा / खोया - 200 ग्राम
- बादाम - 1/4 कप
- ईलाईची पाउडर - 1 टी- स्पून
- बारीक कटे पिस्ते - 1 टी- स्पून
- केसर के धागे - 4-5
- पानी - 4 कप [ परवल उबालने के लिए ]
- बेकिंग सोडा - 1/2 टी- स्पून [ वैकल्पिक ]
सामग्री - चाशनी बनाने के लिए
- चीनी - डेढ़ कप
- पानी - 1 कप
- सबसे पहले परवल को अच्छे से धोकर छील लें और बीच से चाकू की मदद से लंबाई में एक चीरा लगा दें।
- ध्यान रखें कि हमें परवल को इस तरह से बीच से काटना है , जिससे वे दूसरी तरफ से जुड़े रहें। मतलब जैसे हम स्टफड परवल बनाने के लिए काटते हैं न , ठीक उसी प्रकार से परवल को काटना है।
- इसके बाद उंगली से परवल के अंदर का सारा बीज निकाल दें और साथ ही ये भी ध्यान रखें कि परवल टूटे नहीं। ऐसे ही सारे परवालों के बीज निकालकर तैयार कर लें और उन्हें एक तरफ प्लेट में रख दें।
- इसके बाद एक बड़े भगौने या बर्तन में 4-5 कप पानी डालकर गैस पर उबलने के लिए रख दें । हमें इतना पानी उबालना है, जितने में सारे परवल अच्छे से डूब जाएँ।
- आप चाहें तो पानी में 1/2 टी- स्पून बेकिंग सोडा भी इसी समय डाल सकते हैं। बेकिंग सोडा डालने से परवल में अच्छा हरा रंग आ जाता है। लेकिन यह पूर्ण रूप से वैकल्पिक है।
- भगौने को ढँक दें, जिससे पानी जल्दी उबल जाये। जब पानी में उबाल आने लगे तब गैस धीमी कर दें और ढक्कन हटाकर एक - एक करके सारे परवल पानी में डाल दें।
- मीडियम फ्लेम पर ढँककर परवल को 3-4 मिनट तक पकने दें। पानी में उबालने से परवल का कच्चापन निकल जाता है और वे हल्के से नरम भी हो जाते हैं।
- 4 मिनट बाद गैस बंद कर दें और परवलों को ऐसे ही ढंका 5 मिनट तक पानी में ही छोड़ दें।
- 5 मिनट बाद ढक्कन हटाकर परवलों को छान लें और एक जाली पर रख दें जिससे उनका पूरा पानी निकल जाये।
- तब तक चीनी की चाशनी बनाकर तैयार कर लें। इसके लिए एक पैन या कड़ाही में डेढ़ कप चीनी और 1 कप पानी डालकर गैस पर रख दें।
- चीनी को चलाते हुए पानी में घुलने तक पका लें। ध्यान रखें कि हमें यहाँ पर कोई तार नहीं बनाना है, चीनी को केवल पानी में घुलाना है।
- अगर आपकी चीनी थोड़ी गंदी है और चाशनी में सफ़ेद - सफ़ेद जैसा कुछ दिखाई दे रहा है तो चाशनी में 2 टी- स्पून दूध डाल दें। इससे चीनी की गंदगी साफ हो जाती है और बिल्कुल साफ चाशनी बनकर तैयार होती है।
- जब चीनी अच्छे से पानी में घुल जाये तब गैस धीमी कर दें और परवलों को थोड़ा हल्के हाथ से दबाते हुए एक - एक करके चाशनी में डालते जाएँ। जिससे उनका सारा पानी भी निकल जाये और वे टूटे भी नहीं।
- अब परवलों को चाशनी में मीडियम फ्लेम पर 4-5 मिनट तक पकने दें। इस तरह से पकाते हुए चाशनी में 1 तार बनना चाहिए। जब चाशनी में एक तार बनने लगे और चाशनी थोड़ी गाढ़ी हो जाए , तब गैस बंद कर दें और परवलों को और 2 मिनट तक चाशनी में ही पड़े रहने दें। 2 मिनट बाद परवलों को चाशनी में से निकालकर एक प्लेट में रख दें, ताकि परवल थोड़े ठंडे हो जाएँ ।
- जब तक परवल चाशनी में पककर तैयार होते हैं , तब तक गैस की दूसरी तरफ मावा भूनकर तैयार कर लें।
- इसके लिए एक कड़ाही में मावा डालें और धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए भून लें। मावा को थोड़ा ठंडा होने के लिए रख दें।
- तब तक बादाम में से 10 बादाम निकालकर बाकी सारे बादामों का पाउडर बना लें और उन 10 बादामों को बारीक - बारीक काट लें।
- जब मावा थोड़ा ठंडा हो जाए , तब मावा में पाउडर चीनी , ईलाईची पाउडर और बादाम का पाउडर डालकर मिक्स कर दें। परवल में भरने के लिए स्टफिंग बनकर तैयार है।
- इसके बाद एक - एक करके परवल उठाएँ और उसमें स्टफिंग भर दें और हल्का सा परवल को दबा दें जिससे उसका अच्छा सा शेप आ जाए।
- स्टफिंग पर ऊपर से कटे हुए बादाम , पिस्ते और केसर के धागे चिपका दें और एक प्लेट में रखते जाएँ।
- इसी तरह से सारे परवल भरकर तैयार कर लें। अगर आपके पास चांदी का वर्क हो तो वो भी थोड़ा - थोड़ा सा सभी परवलों पर चिपका दें।
- स्वादिष्ट परवल की मिठाई बनकर तैयार है। पूरे तरीके से ठंडा हो जाने पर सर्व करें।
Lajwab taste🍠 per wal ki mithai i like it
ReplyDeleteVary 😋👍tasty😋
ReplyDeleteWow this one is my favourite.... will definitely try it😋👍
ReplyDeleteMy favourite sweet
ReplyDeleteAmazing I Will definitely try it
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