नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम नाग - पंचमी के उपलक्ष्य में दिण्ड बनाएँगे। दिण्ड एक महाराष्ट्रियन व्यंजन है जो नाग - पंचमी के पावन पर्व पर अधिकांश महाराष्ट्रियन घरों में नैवेद्य रूप में बनाया जाता है। दोस्तों ,आप सभी को नाग - पंचमी की ढेर सारी शुभकामनाएँ। नाग - पंचमी प्रतिवर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त नाग पंचमी के दिन नागों / सर्पों की पूजा करते हैं तथा उन्हें दूध से स्नान करवाते है , उन्हें काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है तथा उन पर और उनके परिवार पर नाग देवता की कृपा सदैव बनी रहती है। स्कन्द - पुराण के अनुसार इस दिन हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध अष्ट नागों [ जैसे ;- शेषनाग , वासुकि नाग , तक्षक नाग , कालिया नाग , मनसा देवी , उलूपी देवी , कार्कोटक और मुचलिन्द आदि ] की विशेष रूप से पूजा की जाती है। आइये नाग -पंचमी के पावन पर्व पर इन सभी नाग देवों और देवियों के बारे में थोड़ा संक्षेप में जानने की कोशिश करते हैं।
- शेषनाग - शेषनाग सब नागों में सबसे प्रमुख , श्रेष्ठ और शक्तिशाली हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन्होने ही समग्र पृथ्वी को अपने फन पर टिका रखा है , जिससे धरती की स्थिरता बनी रहे। भगवान श्री हरी विष्णु क्षीरसागर में इनके ऊपर ही निवास करते हैं। रामायण में लक्ष्मण जी और महाभारत में बलराम जी इन्हीं के अवतार माने जाते हैं।
- वासुकि नाग - वासुकि नाग शेषनाग के छोटे भाई हैं। इनके बारे में धार्मिक मान्यता है कि ये भगवान शंकर के गले का हार हैं और उनके गले में शोभा प्राप्त करते हैं। ये वही वासुकि नाग हैं जिन्हें समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों द्वारा मंथन के लिए रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया गया था और मंदराचल पर्वत को मथनी बनाया गया था।
- तक्षक नाग - तक्षक नाग, शेषनाग और वासुकि के छोटे भाई हैं और तीसरे स्थान पर आते हैं। इनका वर्णन महाभारत में मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि ऋषि शृंगी के श्राप के फलस्वरूप तक्षक नाग ने ही राजा परीक्षित को डसा था , जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गयी थी। तक्षक से बदला लेने के लिए राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प - यज्ञ किया था , जिसमें इनके प्राणों की रक्षा आस्तिक ऋषि ने अपने मंत्रों से की थी।
- कालिया नाग - कालिया नाग का वर्णन भागवत पुराण में मिलता है। कालिया नाग वृन्दावन में यमुना नदी में अपने परिवार के साथ निवास करते थे तथा अत्यंत विषैले सर्प थे, जिसके परिणामस्वरूप यमुना का जल भी विषैला हो गया था। एक बार अपने मित्रों के साथ खेलते हुए बाल कृष्ण की गेंद यमुना में चली गयी। सारे ग्वाल - बाल डर गए, क्यूंकि नदी में अत्यंत विषैला सर्प था। तब श्री कृष्ण यमुना जी में कूद गए और उन्होने न सिर्फ यमुना जी और वृन्दावन वासियों को कालिया से मुक्त करवाया बल्कि उसके फन पर नाग - नथईया का सुंदर दृश्य भी प्रस्तुत किया।
- मनसा देवी - मनसा देवी भगवान भोले नाथ की मानस पुत्री तथा वासुकि नाग की छोटी बहन मानी जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन्होंने ही भगवान शिव को हलाहल विष के दुष्प्रभाव से बचाया था। मनसा देवी का मंदिर आज भी हरिद्वार [ उत्तराखंड ] में शिवालिक पहाड़ियों पर स्थित है। नाग - पंचमी पर यहाँ श्रद्धालुओं कि विशेष भीड़ जमा होती है।
- उलूपी देवी - इनका वर्णन भी महाभारत में मिलता है। ये वासुकि और वृषवाहिनी की पुत्री हैं। इनका विवाह गाँडीव धारी अर्जुन से हुआ था। इन्द्रप्रस्थ की स्थापना के उपरांत जब अर्जुन राजदूत बनकर मैत्री अभियान पर निकले थे , तब उन्होने सर्वप्रथम नाग - लोक जाने का निश्चय किया था । वहीं उनकी भेंट उलूपी देवी से हुई और उनका विवाह हुआ। उलूपी देवी और अर्जुन का एक बेटा भी था, जिसका नाम इरावान था।
- मुचलिन्द - इनका संबंध बोधि युग से है। मुचलिन्द ने बोधि - प्राप्ति के दौरान गौतम बुद्ध की रक्षा की थी। ऐसा त्रिपिटिक में वर्णित है।
- कार्कोटक - हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्कोटक नागों के राजा थे, जिन्होने देवराज इन्द्र के अनुरोध पर नल को काटा था, जिसके परिणामस्वरूप नल ऐठनयुक्त तथा कुरूप हो गए थे।
हिन्दू पंचांग के अनुसार नाग - पंचमी को हिंदुओं का सबसे पहला त्योहार भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि नाग - पंचमी से ही त्योहारों का शुभारंभ होता है। इस दिन देश के अलग - अलग हिस्सों में अलग- अलग किस्म के पकवान बनाने की परंपरा है। जैसे;- राजस्थान में पारंपरिक दाल - बाटी और चूरमा बनाया जाता है। उत्तर- प्रदेश और बिहार में सेंवई और मालपुवा बनाने की परंपरा है। मध्य - प्रदेश में खीर बनाई जाती है और देश के दक्षिण भागों में पायसम बनाने की परंपरा है। महाराष्ट्र में नाग - पंचमी पर दिण्ड बनाया जाता है। दिण्ड चना दाल और गेहूं के आटे से बना और भाप में पका एक मीठा व्यंजन होता है, जिसे पूरन पोली और मोदक का संयोजन माना जाता है, क्यूंकि इसकी सामग्री पूरन पोली से मिलती है तथा भाप में पकाए जाने की प्रक्रिया मोदक से प्रेरित है। इसे परंपरागत रूप से केले के पत्ते पर रखकर भाप में पकाया जाता है और ऊपर से देशी घी डालकर नैवेद्य रूप में अर्पित किया जाता है तथा बाद में भोग के रूप में ग्रहण किया जाता है। तो चलिये दिण्ड बनाना शुरू करते हैं।
सामग्री
- चना दाल - 1 कप [ 7-8 घंटे तक पानी में भिंगाई हुई ]
- गुड़ - 1 कप
- गेंहू का आटा - 2 कप
- जायफल पाउडर- 1/2 टी- स्पून
- नमक - 1/4 टी- स्पून
- ईलाईची पाउडर- 1 टी- स्पून
- पानी - आवश्यकतानुसार
- घी - 3- 4 टी- स्पून
- काजू , बादाम और पिस्ता के बारीक कटे टुकड़े - 1/4 कप
विधि
- सबसे पहले चना दाल को अच्छे से साफ करके , धो लें और आवश्यकतानुसार पानी डालकर भिंगा दें और 7-8 घंटे या पूरी रात के लिए ढंककर छोड़ दें।
- 7-8 घंटे बाद दाल को कूकर में निकाल लें और उसमें 2 कप पानी डाल दें और ढक्कन बंद करके मीडियम आंच पर 3 सीटी आने तक पका लें।
- तब तक दिण्ड बनाने के लिए आटा गूँथकर तैयार कर लें। इसके लिए एक परात में गेहूं का आटा निकालें और उसमें 2 टी- स्पून घी डाल दें और एक बार सूखा ही हाथों से अच्छे से मिक्स कर दें , जिससे आटे के कण - कण में मोयन अच्छे से लग जाये।
- अब आवश्यकतानुसार थोड़ा - थोड़ा पानी डालते हुए पूरी के आटे की तरह थोड़ा सख्त आटा गूँथकर तैयार कर लें और ढँककर 20 मिनट के लिए रेस्ट करने के लिए छोड़ दें।
- जब कूकर में 3 सीटी आ जाए , तब गैस बंद कर दें और कूकर का प्रेशर अपने से निकलने दें।
- जब कूकर का प्रेशर निकल जाये तब दाल को पानी में से छानकर अलग कर दें और दाल को एक पैन में डालकर गैस ऑन कर दें।
- आंच धीमी रखें और 1 कप दाल के लिए 1 कप कुटा हुआ गुड़ पैन में डाल दें और धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए गुड़ को पिघलने तक पकाएँ।
- जब गुड़ अच्छे से पिघल जाये तब पैन में जायफल पाउडर, नमक , ईलाईची पाउडर और बारीक कटे काजू , बादाम और पिस्ते डाल दें और मिक्स कर दें।
- लो- मीडियम फ्लेम पर लगातार चलाते हुए 15 मिनट तक पका लें।
- 15 मिनट में दिण्ड की स्टफिंग तैयार हो जाती है। जब स्टफिंग अच्छे से पक जाये और हलवे की तरह इकट्ठा होकर कड़ाही / पैन छोड़ने लगे, बस तभी गैस बंद कर दें और स्टफिंग को एक प्लेट में निकालकर थोड़ा ठंडा होने के लिए रख दें।
- जब स्टफिंग थोड़ी ठंडी हो जाएगी तब हम दिण्ड बनाएँगे। तब तक स्टीमर में पानी डालकर उबलने के लिए रख दें और स्टीमर की जाली पर ब्रश की मदद से थोड़ा देशी घी लगा दें , जिससे दिण्ड चिपके नहीं।
- इसके बाद आटे को एक बार और मसलकर थोड़ा चिकना कर लें और आटे से एक नींबू के बराबर लोई तोड़ लें और उसे पूरी की तरह बेल लें। दिण्ड के लिए पूरी नॉर्मल पूरी से थोड़ी मोटी और थोड़ी बड़ी बेली जाएगी।
- अब पूरी के बिल्कुल बीचों - बीच 2 टी- स्पून स्टफिंग रख दें और चारों तरफ से मोड़कर दिण्ड को सील कर दें और चौकोर शेप दे दें।
- ऐसे ही सारे दिण्ड बनाकर रख लें।
- जब पानी उबलने लगे और अच्छी भाप बनने लगे तब स्टीमर की जाली पर थोड़ी - थोड़ी दूरी पर दिण्ड रखते जाएँ। एक बार में जितने दिण्ड आसानी से आ सकें रख दें और जाली को स्टीमर में रखकर ढक्कन बंद करके मीडियम आंच पर 15 - 20 मिनट के लिए पकने दें।
- ऐसे ही सारे दिण्ड पकाकर तैयार कर लें। पक जाने पर एक प्लेट में निकालकर ऊपर से थोड़ा सा देशी घी डालकर सर्व करें।
दोस्तों , आशा करती हूँ कि नाग - पंचमी के उपलक्ष्य में दी गयी अष्ट नागों कीजानकारी और दिण्ड की रेसिपी आपको पसंद आई होगी। आप भी अपने घर पर नाग - पंचमी के उपलक्ष्य में दिण्ड बनाएँ और अपने अनुभव और सुझाव मेरे साथ शेयर करें।
धन्यवाद॥
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Jai ho nag dewta kiaur unke swadisth prasad aur neibedh btane k liye bahut bahut dhanyavaad
ReplyDeleteVery🍠👍 nice
ReplyDeleteVery 🍠👍nice
ReplyDeleteYammy recipe
ReplyDeleteAuthentic recipe. Thank you for sharing this recipe and all about the 5 important snakes. 🙂🙂
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