नमस्कार।
स्वाद भी सेहत भी में आपका स्वागत है। आज हम दाल - बाटी और चूरमा बनाएँगे। दाल- बाटी , चूरमा राजस्थान का बेहद प्रसिद्ध पारंपरिक व्यंजन है। राजस्थान अपनी रंग - बिरंगी शाही संस्कृति और लजीज खान - पान के लिए विश्व - विख्यात है। वैसे तो वहाँ के बहुत सारे भोज्य - पदार्थ अपने अनूठे स्वाद के कारण मशहूर हैं, लेकिन सबमें एक व्यंजन ऐसा है , जिसके बिना राजस्थानी दावत बिल्कुल अधूरी मानी जाती है और वह है दाल - बाटी , चूरमा। आज दाल बाटी चूरमा राजस्थान की पहचान बन चुका है। इसे राजस्थान में सभी खास अवसरों पर घर - घर में बनाया जाता है। यह स्वाद और स्वास्थ्य का अनूठा संयोजन है। हल्का मीठा चूरमा, तीखी , चटपटी दाल और खस्ता बाटी तीनों का बेजोड़ मेल इस व्यंजन को बेहद खास बना देता है। इसका स्वाद इतना लाजवाब होता है कि यह न सिर्फ राजस्थान में बल्कि अब पूरे भारत में मशहूर हो चुका है।
जितना इसका स्वाद लाजवाब है , उतनी ही रोचक इसकी उत्पत्ति की कहानी है। कहा जाता है कि आज से लगभग 1300 वर्ष पूर्व 8वीं शताब्दी में जब राजस्थान में मेवाड़ राजवंश का शासन था, तब एक बार मेवाड़ी सैनिक दोपहर में अपने लिए रोटियाँ बनाने की व्यवस्था कर रहे थे । उन्होने आटा गूँथकर लोइयाँ तोड़ी ही थीं कि युद्ध पर जाने का ऐलान हो गया और सैनिक रोटियाँ नहीं बना पाये। तब उन्होने लोइयों को गरम रेत में गाड़ दिया। जब शाम को सैनिक युद्ध से लौटकर आए , तो उन्होने देखा कि सूर्य की गर्मी से , गरम रेत के अंदर लोइयाँ पक गयी थीं, जो खाने में बहुत स्वादिष्ट लग रही थीं। सैनिकों ने इसे नाम दिया -'' बाटी''। तभी से बाटी अस्तित्व में आ गयी। यह न सिर्फ जल्दी से बनकर तैयार हो जाती थी बल्कि इसे खाकर सैनिकों को दिन भर की एनर्जी भी मिल जाती थी। इसके बाद गुप्त साम्राज्य में बाटी को दाल का साथ मिला। गुप्त साम्राज्य में पंचमेल दाल [ चना , मूंग , मसूर , अरहर और उड़द दाल ] में तड़का लगाकर बाटी के साथ खाया जाता था। दाल के साथ बाटी का स्वाद और भी ज्यादा बढ़ गया। चूरमा की उत्पत्ति तो अंजाने में ही हो गयी थी । कहते हैं कि एक बार मेवाड़ के गुहिलोत कबीले के एक रसोइये से गलती से बाटी पर गन्ने का रस गिर गया था । गुहिलोत कबीले की महिलाओं ने बाद में देखा कि गन्ने के रस से बाटी नरम होकर चूर हो रही थी और इसका स्वाद काफी बढ़िया लग रहा था। बस तभी से बाटी को तोड़कर गुड या गन्ने का रस डालकर चूरमा बनाया जाने लगा और इस तरह दाल - बाटी , चूरमा का अनूठा संगम हुआ।
बाटी को जब पानी में उबालकर बाद में घी में तला जाता है , तब बाटी को '' बाफला बाटी '' कहते हैं। इसकी भी एक कहानी है। कहा जाता है कि अकबर की हिन्दू महारानी जोधाबाई के साथ दाल - बाटी चूरमा की ये परंपरा राजस्थान से मुगल साम्राज्य तक भी पहुँच गयी। मुगलिया खानसामों ने इसे भाप में अलग तरीके से पकाकर बनाया और मुगल साम्राज्य में इसे नाम मिला '' दाल - बाफला और खीच ''।
दाल - बाटी , चूरमा अलग - अलग जगहों पर अलग - अलग तरीके से बनाया जाता है। आज हम बिल्कुल पारंपरिक दाल - बाटी , चूरमा बनाएँगे , जो राजस्थान की शान है। तो चलिये राजस्थानी दाल - बाटी , चूरमा बनाना शुरू करते हैं।
सामग्री - बाटी बनाने के लिए
- गेहूँ का आटा - 2 कप
- सूजी - 1/2 कप
- बेसन - 2 टेबल- स्पून
- अजवाइन - 1/4 टी- स्पून
- सौंफ - 1 टी- स्पून
- नमक - 1/2 टी- स्पून
- घी- 3 टेबल- स्पून [ मोयन देने के लिए ]
- बेकिंग सोडा - 1/4 टी - स्पून
- पानी - आवश्यकतानुसार [ आटा गूँथने के लिए ]
- घी - बाटी में लगाने के लिए
सामग्री - दाल बनाने के लिए
- अरहर / तुअर दाल - 1/4 कप
- चने की दाल - 1/4 कप
- मूँग की दाल - 1/4 कप
- मसूर की दाल - 1/4 कप
- खंडित [split ] काली उड़द दाल - 2 टेबल- स्पून
- पानी - 3 कप
- हल्दी पाउडर - 1 टी- स्पून
- नमक - स्वादानुसार
सामग्री- दाल में तड़का लगाने के लिए
- घी - 3 टेबल- स्पून
- राई- 1 टी- स्पून
- जीरा - 1/2 टी- स्पून
- हींग- 1 पींच
- करी पत्ता - 6-7
- तेज पत्ता - 1
- लौंग - 3
- खड़ी लाल मिर्च - 1
- लहसून- अदरक पेस्ट- 1 टी- स्पून
- बारीक कटी हरी मिर्च - 2
- बारीक कटी प्याज़ - 2 [ मीडियम साइज ]
- बारीक कटा टमाटर - 2
- लाल मिर्च पाउडर - 1/2 टी- स्पून
- धनिया पाउडर - 1 टी- स्पून
- गरम मसाला पाउडर - 1/2 टी- स्पून
- बारीक कटी धनिया पत्ती - 2 टेबल- स्पून
सामग्री - चूरमा बनाने के लिए
- गेहूँ का आटा- 1 कप
- सूजी - 1/4 कप
- पीसी हुई शक्कर - 3 टेबल- स्पून
- घी- 4 टेबल - स्पून [ मोयन देने के लिए ]
- किशमिश - 1 टेबल- स्पून
- बारीक कटे काजू - 1 टेबल- स्पून
- बारीक कटे बादाम- 1 टेबल- स्पून
- बारीक कटे पिस्ते - 1 टी- स्पून
- इलाईची पाउडर - 1/2 टी- स्पून
- घी - 1/2 कप [ बाटियाँ तलने के लिए ]
अन्य सामग्री - परोसने के लिए
- प्याज़
- नींबू के टुकड़े
विधि - बाटी बनाने के लिए
- सबसे पहले एक बड़े बर्तन में आटा , सूजी , बेसन और बेकिंग सोडा डालकर एक बार छन्नी से छान लें ताकि कोई बड़े टुकड़े न रहें।
- अब आटे में हथेलियों से थोड़ा रगड़कर अजवाइन डाल दें। अजवाइन के साथ ही सौंफ , नमक और 3 टेबल - स्पून घी डालकर हाथों से मसलते हुए पहले अच्छे से मिक्स कर दें। जिससे आटे के कण - कण में अच्छे से मोयन लग जाये।
- उसके बाद थोड़ा - थोड़ा पानी डालते हुए सख्त आटा गूँथकर तैयार कर लें। आप चाहें तो पानी की जगह दूध / दही से भी आटा गूँथ सकते हैं।
- आटा गूँथने के बाद आटे को ढँककर 15- 20 मिनट के लिए रेस्ट करने के लिए छोड़ दें।
- 15- 20 मिनट बाद एक बार और आटे को मसलकर चिकना कर लें।
- अब अपने हाथ में थोड़ा सा घी / तेल लगाकर हाथों को चिकना कर लें और आटे से एक पेड़े के बराबर लोई तोड़कर उसे हथेलियों की सहायता से गोल शेप दे दें और बाटी को थोड़ा दबाकर चिपटा कर दें।
- ऐसे ही सारी बाटियाँ बनाकर तैयार कर लें।
- बाटियों को वैसे तो पारंपरिक रूप से लकड़ी की अंगीठी पर पकाया जाता है। लेकिन हमारे घरों में यह सुविधा मौजूद नही होती है। इसलिए आप बाटियों को मीडियम फ्लेम पर या तो गैस तंदूर में पका लें या अगर आपके पास ओवन / माइक्रोवेव हो तो 180 डिग्री प्री - हीटेड ओवन / माइक्रोवेव में 30 मिनट के लिए बेक कर लें और एक बार बाटियों को निकालकर चेक कर लें । अगर बाटियाँ एक तरफ से पक गयी हों तो उन्हे पलट दे और दूसरी तरफ से भी बाटियों को पका लें। या अप्पम पैन में थोड़ा ब्रश से घी लगाकर अप्पम पैन को चिकना कर लें और मीडियम फ्लेम पर बाटियों को पलट - पलटकर दोनों तरफ से फटने व गोल्डेन ब्राउन होने तक ढँककर पका लें।
- लेकिन अगर ये सारी चीजें भी उपलब्ध न हों तब बाटी को कूकर में भी बनाया जा सकता है।
- इसके लिए आप जब तक बाटियाँ बना रहे हों तब तक गैस पर एक कूकर गरम होने के लिए रख दें और कूकर में 2 कप नमक डाल दें और ढँककर नमक को 5-6 मिनट तक तेज आंच पर गरम होने दें।
- 5-6 मिनट बाद कूकर का ढक्कन हटाएँ और कूकर में एक जाली स्टैंड [ जिस पर हम गरम खाना रखते हैं वही जाली स्टैंड] रख दें । आंच धीमी कर दें।
- बाटी बनाने के लिए कोई ऐसी प्लेट ले लें , जो कूकर के अंदर आ जाए और उसे भी घी / तेल लगाकर चिकना कर लें । जिससे बाटियाँ प्लेट में चिपके नहीं।
- इसके बाद एक बार में जितनी बाटियाँ प्लेट में आ सकें , उतनी बाटियाँ थोड़ी - थोड़ी दूरी पर प्लेट में रख दें। क्यूंकि बाटियों को फूलने के लिए थोड़ी जगह चाहिए।
- प्लेट को सावधानी से कूकर में जाली स्टैंड के ऊपर रख दें और कूकर की सीटी निकालकर ढक्कन लगाकर मीडियम फ्लेम पर बाटियों को 10- 12 मिनट तक पकने दें।
- 10 मिनट बाद एक बार खोलकर चेक कर लें , अगर बाटियाँ एक तरफ से सिंककर फट चुकी हैं और उनका कलर गोल्डेन ब्राउन हो गया हो तो बाटियों को पलट दें और अगर बाटियाँ अभी नही पकी हैं तो ढँककर 5-6 मिनट और पका लें और एक बार फिर से चेक कर लें।
- इसके बाद बाटियों को पलट दें और दूसरी तरफ से भी बाटियों को ढँककर मीडियम फ्लेम पर पका लें।
- ऐसे ही सारी बाटियाँ बनाकर तैयार कर लें।
- जब बाटियाँ तैयार हो जाएँ तब प्लेट में निकाल लें और ऊपर से घी लगाकर दाल और चूरमे के साथ गरमागरम सर्व करें।
विधि - दाल बनाने के लिए
- सबसे पहले सभी दालों को अच्छे से 2-3 बार धोकर 15- 20 मिनट के लिए 3 कप पानी डालकर भिंगा दें।
- 15 - 20 मिनट बाद कूकर में पानी सहित दालें डाल दें और नमक और हल्दी डालकर 3-4 सीटी आने तक मीडियम फ्लेम पर पका लें।
- 3-4 सीटी आने के बाद गैस बंद कर दें और कूकर का प्रेशर खुद से निकलने दें।
- दाल पक जाने पर दाल में तड़का लगा दें।
- इसके लिए गैस पर एक कड़ाही रखें और उसमें घी डालकर गरम कर लें।
- जब घी गरम हो जाए तब उसमें 1 खड़ी लाल मिर्च, हींग , जीरा , राई , तेज पत्ता , लौंग और करी पत्ता डाल दें और एक मिनट तक धीमी आंच पर पका लें।
- इसके बाद घी में अदरक - लहसून का पेस्ट डाल दें और धीमी आंच पर 1 मिनट तक भून लें। अगर आपके पास अदरक - लहसून का पेस्ट नही है तो 4-5 लहसून की कलियों को छीलकर , बारीक - बारीक काटकर डाल दें और 1 इंच अदरक का टुकड़ा कद्दूकस करके डाल दें और भून लें।
- अदरक - लहसून का पेस्ट भूनने के बाद उसमें बारीक कटी हरी मिर्च और बारीक कटी प्याज़ डाल दें और प्याज़ को सुनहरा होने तक भून लें।
- जब प्याज़ सुनहरी हो जाए तब कड़ाही में बारीक कटे टमाटर डाल दें और 1 पींच नमक भी डाल दें ताकि टमाटर जल्दी गल जाएँ। ध्यान रखें हमे नमक ज्यादा नही डालना है। टमाटर को ढँककर गलने तक पका लें।
- जब टमाटर गल जाए तब कड़ाही में धनिया पाउडर, गरम मसाला पाउडर और लाल मिर्च पाउडर भी डाल दें और धीमी आंच पर ढँककर मसालों को 1 मिनट तक ढँककर पका लें।
- जब सारे मसाले पक जाएँ तब कड़ाही में कूकर की दाल उठाकर डाल दें और एक बार चला दें।
- ढँककर लो - मीडियम फ्लेम पर 7-8 मिनट तक दाल को पकने दें।
- 7-8 मिनट बाद दाल में बारीक कटी हरी धनिया डालकर चला दें और गैस बंद कर दें।
- स्वादिष्ट दाल तैयार है, गरमागरम बाटियों के साथ सर्व करें।
विधि - चूरमा बनाने के लिए
- चूरमा बनाने के लिए भी पहले बाटी ही बनाई जाती है, लेकिन चूरमा की बाटी में नमक , अजवाइन ,सौंफ आदि नहीं डाला जाता है। इसलिए चूरमा के लिए अलग से बाटी बनाई जाती है।
- चूरमा के लिए बाटी बनाने के लिए एक बड़े बर्तन में आटा और सूजी डाल दें। अगर आपका आटा थोड़ा मोटा पिसा है तब सूजी डालने की आवश्यकता नही है और अगर आटा बारीक पिसा है तब सूजी डालना अनिवार्य है क्यूंकि चूरमे के लिए बाटी बनाने के लिए मोटा पिसा आटा चाहिए होता है।
- अब आटे में 4 टेबल - स्पून पिघलाया हुआ घी डाल दें और घी डालकर एक बार अच्छे से घी को आटे व सूजी में मसल - मसलकर मोयन लगा दें।
- आवश्यकतानुसार पानी डालकर सख्त आटा गूँथकर तैयार कर लें।
- आटे को 7-8 बराबर भागों में बाँट लें और प्रत्येक भाग को मुट्ठी में बांधकर मुट्ठियों का शेप दे दें।
- इसके बाद गैस पर एक कड़ाही रखें और उसमें 1/2 कप घी डालकर गरम कर लें।
- जब घी गरम हो जाए तब घी में बाटियों को डाल दें और लो- मीडियम फ्लेम पर बाटियों को 10 - 15 मिनट तक पलट - पलटकर गोल्डेन ब्राउन होने तक पका लें।
- आंच बिल्कुल भी तेज न करें , नहीं तो बाटियाँ ऊपर से पक जाएंगी और अंदर से कच्ची रह जाएंगी।
- ऐसे ही सारी बाटियाँ तलकर एक प्लेट में निकाल लें और ठंडा होने दें।
- ठंडा हो जाने पर बाटियों को हाथ से तोड़ - तोड़कर मिक्सर में डाल दें और रुक - रुककर दरदरा पीस लें। मिक्सर को एकसाथ न चलाएं , थोड़ा रुक - रुककर ही चलाएं।
- मिक्सर से निकालकर चूरमे को एक बाउल में रख लें और काजू , किशमिश , बादाम , पिस्ते , ईलाईची पाउडर और पीसी हुई शक्कर डालकर मिक्स कर दें और दाल - बाटी के साथ सर्व करें।
दोस्तों , आशा करती हूँ कि आपको दाल - बाटी और चूरमे की मेरी ये रेसिपी पसंद आई होगी। आप भी अपने घर पर राजस्थानी दाल - बाटी चूरमा बनाइये और अपने अनुभव और सुझाव मेरे साथ शेयर कीजिये।
धन्यवाद॥