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Wednesday, March 16, 2022

होली स्पेशल 6 अलग - अलग प्रकार की मिठाइयाँ व नाश्ते [ Holi Special 6 Different Kinds Of Sweets And Snacks ]

नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम होली के उपलक्ष्य में 6 अलग- अलग प्रकार की मिठाइयाँ व नाश्ते बनाएँगे। दोस्तों, होली का मस्ती भरा त्यौहार आने वाला है। आप सभी को रंगोत्सव की ढेर सारी शुभकामनाएँ। होली हिन्दू - भाई बहनों का एक प्रसिद्ध और प्रमुख त्यौहार  है, जिसे आज न सिर्फ भारत में बल्कि नेपाल और  हर उस स्थान पर मनाया जाता है , जहां हिन्दू समुदाय के लोग रहते हैं।  हिन्दू पंचांग के अनुसार होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। होली  राधा - कृष्ण के परस्पर प्रेम का  प्रतीक भी  मानी जाती है। होली को देश के अलग- अलग प्रान्तों में अलग- अलग नामों से जाना जाता है। बिहार और उत्तर - प्रदेश में होली को ''फगुआ , फाग या होली'' कहा जाता है। खासकर उत्तर- प्रदेश के गोकुल , मथुरा , वृन्दावन और ब्रज में होली की एक अलग ही धूम रहती है। बरसाना की लठमार होली तो विश्व प्रसिद्ध है , जिसे देखने के लिए देश के अलग - अलग स्थानों से लोग आते हैं। मध्य - प्रदेश , राजस्थान और हरियाणा में होली को  ''धुलन्डी'' के नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र में होली को ''रंग - पंचमी ''कहा जाता है। गोवा के मछुआरा समाज में इसे ''शिमगो या शिमगा'' कहा जाता है। गुजरात में'' गोविंदा होली'' की अलग ही धूम मचती है। छत्तीसगढ़ में होली को ''होरी'' कहा जाता है। पंजाब में होली , ''होला - मोहल्ला'' के नाम से जानी जाती है। पश्चिम बंगाल में होली को ''दोल जात्रा ''और ओडिशा में ''बसंत उत्सव'' के नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु में लोग होली को कामदेव के बलिदान के रूप में याद करते हैं। इसीलिए यहाँ होली को'' कमान - पंडिगई , काम विलास और कामा दाहनामा ''कहा जाता है। कर्नाटक में होली को ''कामना हब्बा'' कहते हैं। मणिपुर में ''योशांग या याओसांग'' कहा जाता है। असम में इसे ''फगवाह या देओल'' के नाम से जाना जाता है और उत्तराखंड और हिमाचल में होली पर विभिन्न प्रकार के संगीत समारोह होते हैं। यहाँ की ''कुमाउनी होली'' बहुत प्रसिद्ध है। इन्ही संगीत समारोहों के नाम पर ही यहाँ होली को भी जाना जाता है, जैसे;- ''गीत - बैठकी होली , खड़ी होली और महिला होली'' आदि। इसके अलावा भी कुछ अन्य जगहों पर होली को ''धुरड्डी , धुरखेल, धुलिवन्दन'' आदि नामों से भी जानते हैं।  नाम चाहे कुछ भी क्यूँ न हो लेकिन होली पर एक बात हर जगह समान रूप से देखने को मिलती है और वह है - आनंद , उत्साह , परस्पर प्रेम और खुशियाँ। रंगों का यह त्यौहार हँसी - खुशी से मिलकर रहने व पुरानी से पुरानी दुश्मनी, बैर व कटुता भूलकर फिर से एक होने का संदेश देता है। 

       होली का यह पर्व पारंपरिक रूप से 2 दिनों तक मनाया जाता है और उसके बाद कई दिनों तक लोग एक - दूसरे के साथ होली मिलन समारोह का लुत्फ उठाते हैं। पहले दिन होलिका दहन होता है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है और दूसरे दिन होली खेली जाती है। होली वाले दिन लोग सुबह से ही आनंद और उमंग से भर जाते हैं। इस दिन सभी एक - दूसरे को रंग , अबीर तथा गुलाल आदि लगाते हैं, ढ़ोल- नगाड़ों की थाप पर होली के गीत बजाकर नृत्य करते हैं , विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं तथा पुरानी रंजिश भूलकर एक - दूसरे को गले लगाकर होली की बधाइयाँ देते है। बच्चों में तो होली का उत्साह देखते ही बनता है। वे अपनी पिचकारियों व गुब्बारों में रंग भरकर हर आने जाने वाले जाने - अंजाने लोगों पर रंग डालते है और खुश होते हैं। 

      होली के कुछ दिन पूर्व से ही घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनने लगते हैं। मार्केट  भी नाना प्रकार की मिठाइयों से सज जाते हैं, लेकिन बाहर की बनी मिठाइयों में मिलावट की संभावना अधिक होती है। अतः हमें घर पर ही कोशिश करके सारी चीजें बना लेनी चाहिए। भले ही थोड़ा समय ज्यादा लगता है, लेकिन बनने के बाद जो परिणाम  सामने आता है उससे परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर खुशी और संतोष का भाव होता है। तो चलिये होली स्पेशल 6 अलग - लग प्रकार की मिठाइयाँ  व नाश्ते बनाना शुरू करते हैं। 

Menu 

  1. मावा गुझिया / करंजी 
  2. मावा गुलाब - जामुन 
  3. कलाकंद 
  4. निमकी 
  5. मेथी मठरी 
  6. चिवड़े की नमकीन 

1- मावा गुझिया / करंजी 

गुझिया होली की शान मानी जाती है। गुझिया के बिना होली बिलकुल अधूरी सी लगती है। गुझिया को कहीं- कहीं करंजी भी कहा जाता है। वैसे तो गुझिया कई प्रकार से बनाई जाती है , लेकिन मैदे , मावा और ड्राई - फ्रूट्स से बनी गुझिया सबकी फेवरेट होती है। तो चलिये गुझिया बनाना शुरू करते हैं। 

सामग्री 
  1. मैदा - 2 कप 
  2. मावा / खोवा / खोया - 1 कप 
  3. घी- 1/4 कप [ मैदे में मोयन लगाने के लिए ] 
  4. बूरा चीनी / तगार - 3/4 कप 
  5. बारीक कटे बादाम - 10- 12 
  6. बारीक कटे काजू - 10- 12 
  7. कद्दूकस किया हुआ सूखा नारियल - 1/4 कप
  8. किशमिश - 1 टेबल- स्पून 
  9. हरी ईलाईची - 10- 12 
  10. चिरौंजी - 1 टेबल - स्पून 
  11. गुनगुना पानी - आवश्यकतानुसार [ आटा गूँथने के लिए ] 
  12. तेल / घी - गुझिया तलने के लिए 
  13. नॉर्मल पानी - 1/2 कटोरी [ गुझिया चिपकाने के लिए ] 
विधि 
  1. गुझिया बनाने के लिए सबसे पहले हमें मावा भूनकर तैयार करना होगा। इसके लिए एक पैन / कड़ाही को गैस पर गरम होने के लिए रखें और उसमें हाथों से तोड़कर मावा डाल दें। आंच लो- मीडियम रखें। 
  2. लो- मीडियम फ्लेम पर मावे को लगातार चलाते हुए गोल्डेन ब्राऊन होने व अच्छी खुशबू आने तक भून लें।
  3. मावे को निकालकर एक प्लेट / थाली में ठंडा होने के लिए रख दें। तब तक गुझिया के लिए आटा गूँथकर तैयार कर लें। 
  4. इसके लिए एक बड़ी परात / थाली में मैदे को निकालकर छननी से छान लें, ताकि अगर मैदे में कुछ गंदगी हो तो निकल जाए। 
  5. अब मैदे में पिघलाया हुआ 1/4 कप घी डालकर अच्छे से मसल- मसलकर मोयन लगा दें, जिससे मैदे  के कण - कण में अच्छे से मोयन लग जाए। मोयन लगाने से गुझिया बहुत खस्ता बनती है। 
  6. मैदे  में मोयन ठीक से लगा है कि नहीं , यह जानने के लिए जब आप मुट्ठी में मैदे  को दबाएँगे तो मैदा  मुट्ठी का शेप पकड़ना चाहिए। यह ट्रिक हर जगह मोयन लगाने के लिए काम आती है। 
  7. अब थोड़ा- थोड़ा गुनगुना पानी डालते हुए सख्त आटा गूँथकर तैयार कर लें। 
  8. आटे को किसी हल्के गीले मलमल / सूती कपड़े से  ढँककर 20 मिनट के लिए रेस्ट करने के लिए छोड़ दें। तब तक सारे ड्राई- फ्रूट्स काटकर तैयार कर लें और ईलाईची को छीलकर उसका पाउडर बना लें। 
  9. जब मावा ठंडा हो जाए तब उसमें पीसी हुई चीनी या तगार , बारीक कटे काजू , बारीक कटे बादाम , कद्दूकस किया हुआ सूखा नारियल , चिरौंजी , किशमिश और ईलाईची पाउडर डालकर अच्छे से मिक्स कर दें। 
  10. ध्यान रखें कि जब मावा पूरी तरह से ठंडा हो तभी उसमें चीनी मिलाएँ नहीं तो चीनी पिघलने लगेगी और स्टफिंग गीली हो जाएगी। जिससे गुझिया तलते वक़्त उसके फटने की संभावना बढ़ जाएगी। लेकिन अगर फिर भी आपकी स्टफिंग गीली लग रही हो तो 2-3 टेबल- स्पून सूजी हल्का सा ड्राई रोस्ट करके स्टफिंग में मिला दें, स्टफिंग सही हो जाएगी। 
  11. गुझिया बनाने के लिए स्टफिंग बनकर तैयार है। अब हम गुझिया बनाएँगे। 
  12. इसके लिए एक बार फिर से आटे को मसल- मसलकर चिकना कर लें। अब आटे से एक नींबू के बराबर की लोई तोड़ लें। बाकी के आटे को ढँककर ही रखें, नहीं तो आटा सूखने लगेगा। 
  13. अब उस लोई से एक नॉर्मल साइज़ की पतली पूरी बेलकर तैयार कर लें। 
  14. अब गुझिया बनाने वाले साँचे में हल्का सा दोनों तरफ ब्रश की मदद से घी लगा दें और बेली हुई  पूरी उसमें रख दें। 
  15. अब पूरी के बिलकुल बीच में 1 - 1.5 टी - स्पून स्टफिंग रख दें और उंगली की मदद से पूरी के किनारों पर हर तरफ पानी लगा दें। पानी लगाने से गुझिया अच्छे से चिपक जाती है तथा तलते वक़्त तेल में खुलती नहीं है। यहाँ पर हमने  रूम - टेम्प्रेचर के पानी का इस्तेमाल किया है। पानी न तो गरम है न ही ठंडा है। 
  16. पानी लगाने के बाद साँचे को अच्छे से बंद करके हल्का सा दबा दें। बाहर अगर कुछ मैदे का भाग निकल रहा हो तो उसे निकालकर बाकी के आटे में मिक्स कर दे। अगर आपके पास साँचे नही हैं तो हाथों से भी मोड़कर गुझिया बनाई जा सकती है। 
  17. गुझिया को निकालकर एक थाली में रख दें और ऊपर से एक साफ - सूखे कपड़े से ढँक दें ताकि पानी लगाने के बाद गुझिया में जो नमी आ गयी है , वह सूख जाए। 
  18. ऐसे ही सारी गुझिया बनाकर तैयार कर लें। इतने आटे से 20-25 गुझिया बनकर तैयार हो जाएगी। इसके बाद हम गुझिया को तलेंगे। 
  19. इसके लिए एक कड़ाही में पर्याप्त मात्रा में तेल डालकर गरम होने के लिए रख दे। ध्यान रखें कि तेल इतना हो जिसमें गुझिया अच्छे से डूब जाए। 
  20. गुझिया तलने के लिए हमें बहुत गरम तेल नही चाहिए , नहीं तो गुझिया ऊपर से जल्दी से लाल हो जाएगी और अंदर से कच्ची रह जाएगी। अतः इस बात का विशेष ध्यान रखें कि गुझिया तलने के लिए तेल मध्यम गरम होना चाहिए और आंच लो- मीडियम होनी चाहिए। 
  21. जब तेल गरम हो जाए तब उसमें हल्के हाथों से उठाकर एक - एक करके एक बार में जितनी गुझिया कड़ाही में आ सके डाल दें। 
  22. थोड़ी देर के लिए गुझिया को बिल्कुल न चलाएं। उसे अपने से नीचे की तरफ से पकने दें। 
  23. जब गुझिया एक साइड से गोल्डेन ब्राऊन हो जाए तब उसे धीरे से पलटकर दूसरे साइड से भी तल लें। 
  24. तलकर गुझिया को एक प्लेट में टिशू पेपर बिछाकर निकाल लें। 
  25. ऐसे ही बारी- बारी से सारी गुझिया बनाकर तैयार कर लें। 
  26. स्वादिष्ट मावा गुझिया / करंजी बनकर तैयार है। ठंडा हो जाने पर एक एयर- टाइट कंटेनर में भरकर रख दें और होली वाले दिन  अपना , अपने परिवार , दोस्तों व रिश्तेद्दरों का मुंह मीठा कराएं। 
  27. 15 दिनों तक यह गुझिया आराम से खाई जा सकती है। 


2- मावा गुलाब -जामुन 

गुलाब - जामुन भारत की एक बहुत ही प्रसिद्ध और पारंपरिक मिठाई है, जिसे हर खास मौके पर बनाया ही जाता है। करंजी की तरह गुलाब - जामुन भी कई चीजों से बनता है, जैसे;- सूजी , कंडेंस्ड मिल्क , मिल्क पाउडर और इंस्टेंट मिक्स आदि लेकिन मावे से बने गुलाब - जामुन सबसे बेस्ट होते हैं। तो चलिये मावा गुलाब - जामुन बनाना शुरू करते हैं। 

सामग्री 
  1. चीनी - 4 कप 
  2. पानी - 3 कप 
  3. घी- 1 टी- स्पून 
  4. केसर - 10- 12 धागे 
  5. गुलाब जल - 1 टेबल- स्पून
  6. ईलाईची - 3 
  7. मैदा - 4 टेबल- स्पून 
  8. मावा - 250 ग्राम 
  9. मलाई पनीर- 65 ग्राम 
  10. बेकिंग पाउडर - 1 टी- स्पून 
  11. तेल - गुलाब - जामुन तलने के लिए 
विधि 
  1. मावा गुलाब - जामुन बनाने के किए हमें सबसे पहले चाशनी बनाकर तैयार करना होगा , इसके लिए एक कड़ाही / पैन/ भगौने में 4 कप चीनी और 3 कप पानी डालकर गैस पर रख दें। 
  2. मीडियम फ्लेम पर लगातार चलाते हुए तब तक पकाएँ , जब तक चीनी पानी में अच्छे से घुल न जाए। 
  3. जब चीनी अच्छे से घुल जाए तब ईलाईची को छीलकर उसे दरदरा कूटकर चाशनी में मिक्स कर दें। 
  4. इसके साथ ही चाशनी में 10-12 धागे केसर और 1 टेबल- स्पून गुलाब जल भी डाल दें और मिक्स कर दें।  
  5. अब चाशनी को चलाकर एक उबाल आने तक पकाएँ। जब चाशनी में एक उबाल आ जाए तब गैस धीमी कर दें और धीमी आंच पर चाशनी को और 2 मिनट तक पकने दें। ध्यान रखें कि गुलाब जामुन के लिए हमें कोई तार की चाशनी नहीं बनानी है। केवल उबाल आने के बाद 2 मिनट तक पकाना है। इस तरह से चाशनी बनाने से आपकी चाशनी हर बार उत्तम बनेगी। अगर हम चाशनी को ज्यादा गाढ़ा कर देंगे तो हमारे गुलाब - जामुन चाशनी को अच्छे से नहीं सोखेंगे और अंदर से कड़क व सूखे रह जाएंगे। 
  6. 2 मिनट बाद गैस बंद कर दें और चाशनी को ठंडा होने के लिए छोड़ दें। 
  7. इसके बाद एक परात में मावा निकाल लें और उसमें से थोड़ा - थोड़ा भाग लेते हुए हथेलियों के पिछले हिस्से से तब तक मसलें जब तक मावा बिल्कुल चिकना होकर क्रीम जैसा  न बनने लगे। ऐसे ही पूरे मावे को मथकर तैयार कर लें। ध्यान दें कि यहाँ मावे की मथाई बहुत जरूरी है। मावा जितना मथकर हल्का होगा , गुलाब- जामुन उतने ही नरम बनेंगे। इस पूरी प्रक्रिया में 10-15 मिनट का समय लग जाता है। 
  8. इसके बाद 65 ग्राम मलाई पनीर को कद्दूकस कर लें और उसे भी सेम प्रोसेज से मथकर तैयार कर लें। 
  9. इसके बाद पनीर को मावे में अच्छे से मिक्स कर दें। 
  10. अब  हमें गुलाब - जामुन में बाइंडिंग लाने के लिए मैदा डालना  होगा। इसके लिए पूरा मैदा एक साथ न डालें बल्कि 1- 1 टेबल- स्पून डालते जाएँ और मावे व पनीर के मिश्रण में मिक्स करते जाएँ। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि हमें बहुत ज्यादा मैदे का इस्तेमाल नहीं करना है। नहीं तो गुलाब जामुन कड़क बनेंगे। अगर आपका आटा ज्यादा सूखा लग रहा है तो उसमें 1-2 टी- स्पून दूध / गुलाब जल या पानी भी मिलाया जा सकता है। 
  11. इतने पूरे मिश्रण से डो बनाने के लिए 4 टेबल- स्पून मैदा लगेगा। 
  12. इसके बाद आटे में  1 टी- स्पून घी और 1 टी- स्पून बेकिंग पाउडर डाल दें।  इससे गुलाब जामुन फूले - फूले बनेंगे। अगर आपके पास बेकिंग पाउडर नहीं है , तो 2 चुटकी बेकिंग सोडा भी डाला जा सकता है। घी डालने से गुलाब - जामुन में नज़ाकत/ नरमी आएगी। 
  13. अब मसल- मसलकर मिश्रण को डो के जैसा बना लें। 
  14. जब मावे व पनीर के मिश्रण से अच्छा व  नरम आटा गूँथकर तैयार हो जाए तब एक मलमल के कपड़े से ढँककर आटे को 20 मिनट के लिए रेस्ट करने के लिए छोड़ दें। 
  15. अब पूरे आटे से 24-25 लोइयाँ तोड़ लें और उन्हें भी ढँककर रखें। 
  16. अब  पहले अपने हाथों को अच्छे से धोकर, सूखा लें और उस पर थोड़ा सा घी लगाकर हाथों को चिकना कर लें , जिससे गुलाब जामुन बनाते वक़्त हाथों में चिपके नहीं। 
  17. अब 1-1 लोई लेते जाएँ और उसे दोनों हथेलियों के बीच में घुमाते हुए लड्डू जैसा गोल शेप दे दें। 
  18.  ऐसे ही सारे गुलाब जामुन बनाकर तैयार कर लें और उन्हें भी कपड़े से ढँककर रखें। 
  19. इसके बाद एक कड़ाही में पर्याप्त मात्रा में तेल डालकर गरम होने के लिए गैस पर रख दें। गुलाब जामुन तलने के लिए तेल मध्यम गरम होना चाहिए और आंच लो- मीडियम होनी चाहिए। 
  20. अब आटे का एक छोटा टुकड़ा तेल में डालकर पहले चेक कर लें। अगर उस टुकड़े के पास हल्के - हल्के से बुलबुले उठ रहे हों और टुकड़ा धीरे- धीरे ऊपर उठकर आ रहा है, इसका मतलब है कि गुलाब जामुन तलने के लिए तेल बिल्कुल सही है और अगर आटे का छोटा टुकड़ा तुरंत लाल होकर ऊपर उठकर आ जाए तो इसका मतलब है कि तेल बहुत ज्यादा गरम है। तब ऐसी स्थिति में 2 मिनट के लिए गैस बंद कर दें , उसके बाद ही गुलाब - जामुन तलने के लिए डालें। 
  21. इसके बाद 1-1 करके एक बार में जितने गुलाब जामुन कड़ाही में आ सकें डाल दें और दूसरे हाथ से चम्मच की मदद से तेल को चलाते रहें। इससे गुलाब जामुन तली में चिपकेंगे नहीं और हर तरफ से बराबर पकेंगे। परंतु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि चम्मच छोटी हो और उससे गुलाब जामुन फटने न पाये। 
  22. जब गुलाब जामुन दोनों तरफ से बराबर पक जाएँ तब उन्हें निकालकर गरम - गरम ही चाशनी में डाल दें। अगर हम गुलाब जामुनों को ठंडा करके डालेंगे तो वे अच्छे से फूलेंगे नहीं। चाशनी हल्की गरम होनी चाहिए। बहुत गरम चाशनी में कभी भी गुलाब जामुन न डालें , नहीं तो गुलाब जामुन चाशनी में फटकर घुल जाएंगे और चाशनी एकदम ठंडी भी नहीं होनी चाहिए। 
  23. ऐसे ही सारे गुलाब जामुन बनाकर तैयार कर लें। 
  24. गुलाब जामुनों को चाशनी में डालकर 3-4 घंटे के लिए ढँककर छोड़ दें , जिससे गुलाब जामुन अच्छे से चाशनी को अपने अंदर सोख लें। 
  25. स्वादिष्ट गुलाब जामुन बनकर तैयार है। सर्व करें। 

3- कलाकंद 

मिठाइयों की बात हो और कलाकंद का नाम न आए , ऐसा तो हो ही नही सकता। सबसे पहले कलाकंद राजस्थान के अलवर जिले में बनाई गयी थी। कलाकंद दूध , छेने और चीनी से बनाई जाती है। यह बर्फी से काफी हद तक मिलती - जुलती मिठाई है। इसे न सिर्फ भारत बल्कि पड़ोसी देशों पाकिस्तान व बांग्लादेश में भी खूब पसंद किया जाता है। पारंपरिक रूप से कलाकंद बनाने के लिए पहले दूध को आधा रह जाने तक काढ़ा जाता है। फिर उसमें सफ़ेद विनेगर / टार्टरिक या नींबू का रस डालकर फाड़ा जाता है। फिर उसे पानी से अलग करके  तैयार छेने में चीनी मिलाकर तब तक पकाते हैं , जब तक छेना जमने वाली कंसिस्टेन्सी पर न आ जाए। लेकिन आज हम कलाकंद पनीर व दूध से बनाएँगे। जिससे हमारा काम काफी आसान हो जाएगा।  इस मिठाई की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह बहुत जल्दी बनकर तैयार हो जाती है और खाने में काफी स्वादिष्ट होती है। तो चलिये कलाकंद बनाना शुरू करते हैं। 

सामग्री 

  1. कद्दूकस किया हुआ पनीर - 400 ग्राम 
  2. फूल क्रीम दूध - 500 मिली लीटर 
  3. घी- 1 टी- स्पून 
  4. कंडेन्स्ड मिल्क - 200 मिली लीटर / शक्कर - 150 ग्राम 
  5. बारीक कटे बादाम - 10 
  6. बारीक कटे पिस्ते - 8 
  7. बारीक कटे काजू - 10-12 
  8. ईलाईची पाउडर - 1 टी- स्पून 
  9. केसर के धागे - 8-10 
  10. नमक - 1 चुटकी 
  11. घी- 1/2 टी- स्पून [ थाली को चिकना करने के लिए ] 
  12. काली मिर्च  पाउडर - 1 चुटकी 
विधि 

  1. सबसे पहले 400 ग्राम पनीर को कद्दूकस कर लें। 
  2. इसके बाद एक पैन में 1/2 लीटर फूल क्रीम दूध डालकर उबाल लें। 
  3. जब दूध में एक उबाल आ जाए, तब गैस धीमी कर दें और उसमें कद्दूकस किया हुआ पनीर डालकर मिक्स कर दें। 
  4. धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए दूध व पनीर को तब तक पकाएँ, जब तक पनीर और दूध  एकसार न हो जाए। 
  5. जब तक दोनों चीजें पक रही हैं, तब तक सारे ड्राई - फ्रूट्स काटकर तैयार कर लें। बीच- बीच में दूध व पनीर के मिश्रण को भी चलाते रहें। 
  6. जब दोनों चीजें अच्छे से मिक्स होकर हल्का सा घी छोड़ने लगें तब ऊपर से भी 1 टी- स्पून घी और डाल दें। घी डालने से कलाकंद नरम बनते हैं। 
  7. इसके बाद एक - एक करके सारे ड्राई- फ्रूट्स जैसे;- बारीक कटे काजू , बारीक कटे बादाम और बारीक कटे पिस्ते डाल दें और अच्छे से सारी चीजों को मिक्स कर दें। थोड़े से बारीक कटे बादाम , पिस्ते व केसर के धागों को बचा लें। इसका इस्तेमाल हम गार्निशिंग के लिए करेंगे।  
  8. 1-2 मिनट तक धीमी आंच पर पकाने के बाद मिश्रण में 150 ग्राम चीनी / 200 मिली लीटर कंडेन्स्ड मिल्क डाल दें। हमने यहाँ पर चीनी का इस्तेमाल किया है। 
  9. इसके साथ ही मिश्रण में केसर और ईलाईची पाउडर भी डालकर मिक्स कर दें। अगर आपके पास केसर न हो तो उसके स्थान पर 4-5 बूंदें केवड़ा एसेंस की भी डाली जा सकती हैं। 
  10. इसके बाद मिश्रण में 1 चुटकी नमक और 1 चुटकी काली मिर्च पाउडर डाल दें और मिक्स कर दें। नमक व काली मिर्च डालने से कलाकंद में न तो तीखापन आएगा और न ही कलाकंद नमकीन होगा, बल्कि सारी चीजों के फ्लेवर उभरकर आएंगे, क्यूंकि हर मीठे में चुटकी भर नमक और हर तीखे में चुटकी भर शक्कर आपकी डिश के फ्लेवर को बढ़ाने में सहायक होते हैं। 
  11. अब सारी चीजें डालने के बाद हमें धीमी आंच पर लगातार चलते हुए कलाकंद को तब तक पकाना है, जब तक वह जमने न लगे। 
  12. जब कलाकंद जमने वाली कंसिस्टेन्सी पर आ जाए तब गैस बंद कर दें और एक थाली / प्लेट में 1/2 टी- स्पून घी लगाकर उसे चिकना कर लें । 
  13. अब इस प्लेट पर पूरा मिश्रण डाल दें और अच्छे से हर तरफ बराबर फैला दें। 
  14. रूम टेम्परेचर पर आने तक कलाकंद को ऐसे ही  बाहर ठंडा होने के लिए छोड़ दें। 
  15. जब कलाकंद अच्छे से ठंडा हो जाए तब उसे उठाकर 1 घंटे के लिए फ्रीज़ में रख दें। 
  16. 1 घंटे बाद फ्रीज़ से बाहर निकालें। गैस पर धीमी आंच पर 2 सेकेंड के लिए प्लेट को चारों तरफ से घुमाते हुए हल्का सा गरम कर लें। ऐसा करने से कलाकंद आसानी से प्लेट से बाहर निकल आता है, क्यूंकि जब हम कलाकंद को जमने के लिए फ्रीज़ में रखते हैं तो थाली में लगाया हुआ घी भी जम जाता है, जिससे कलाकंद निकालते वक़्त परेशानी होती है। लेकिन अगर हम प्लेट को हल्का सा गरम कर लेंगे तो हमें कोई परेशानी नहीं आएगी। 
  17.  स्वादिष्ट  कलाकंद बनकर तैयार है। इसके बाद कलाकंद को चौकोर टुकड़ों में काटकर ऊपर से बचाई हुई केसर, बादाम और पिस्ते की कतरनों से सजाकर सर्व करें। 


4- निमकी 


निमकी मैदे व कुछ मसालों से बना एक बेहद ही खस्ता व स्वादिष्ट स्नैक्स है। यह बंगाल की बेहद प्रसिद्ध रेसिपी है। कहीं- कहीं निमकी को सोहाल भी कहा जाता है। इसका आकार तिकोना और स्वाद नमकपारे से मिलता - जुलता होता है। यह बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको बहुत पसंद आती है। तो चलिये निमकी बनाना शुरू करते हैं। 

सामग्री 
  1. मैदा - 2 कप 
  2. नमक- 1 टी- स्पून या स्वादानुसार 
  3. कलौंजी / मंगरैल - 1 टी- स्पून 
  4. अजवाइन - 1 टी- स्पून 
  5. जीरा - 1/2 टी- स्पून 
  6. घी- 3-4 टेबल- स्पून [ मोयन देने के लिए] 
  7. गुनगुना पानी - आवश्यकतानुसार [ आटा गूँथने के लिए ] 
  8. पिघलाया हुआ घी/ तेल - 1/4 कप [ निमकी पर लगाने के लिए ]
  9. सूखा मैदा - 1/4 कप [ निमकी पर छिड़कने के लिए ]
  10. तेल - आवश्यकतानुसार [ निमकी तलने के लिए ] 
विधि 
  1. सबसे पहले एक बड़ी परात में मैदे को छान लें। 
  2. इसके बाद मैदे में कलौंजी , जीरा , नमक और हाथों से हल्का सा क्रश करके अजवाइन डाल दें। अगर हम अजवाइन को हल्का क्रश  करके डालेंगे तो निमकी  का फ्लेवर उभरकर आएगा। सारी चीजों को पहले सूखा  ही अच्छे से मिक्स कर लें। 
  3. अब मैदे में 4 टेबल- स्पून तेल/ ghee  डालकर अच्छे से मसल- मसलकर मैदे के कण - कण में मोयन लगा दें। 
  4. इसके बाद मैदे में थोड़ा - थोड़ा करके  गुनगुना पानी डालते हुए सख्त आटा गूँथकर तैयार कर लें। 
  5. आटे को ढँककर 15 मिनट के लिए रेस्ट करने के लिए छोड़ दें। 
  6. 15 मिनट बाद फिर से आटे को मसलकर एक बार चिकना कर लें। 
  7. अब आटे में से एक बड़े बाल के आकार का टुकड़ा तोड़ें और उसके पेड़े बना लें। 
  8. उसे चकले पर रखकर एक बड़ी रोटी के जैसा पतला बेलकर तैयार कर लें। 
  9. रोटी पर ब्रश की सहायता से हर तरफ तेल लगा दें और उस पर सूखा मैदा भी चारों तरफ छिड़क दें। ऐसा करने से निमकी में बहुत सारी परतें आएंगी और निमकी खस्ता भी बनेगी। 
  10. अब एक किनारे से रोटी को अंदर की तरफ से मोड़ते हुए एक बड़े रोल जैसा बना लें। 
  11. इसके बाद चाकू से 1-1 इंच की दूरी पर रोल में कट लगा दें। 
  12. बाकी बचे हुए आटे से भी ऐसे ही टुकड़े बनाकर तैयार कर लें , लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूरी प्रक्रिया में हमें आटे व उसके टुकड़ों को ढँककर ही रखना है। 
  13. इसके बाद एक टुकड़ा  उठाएँ और उससे लोई बनाकर पूरी जैसा पतला बेल लें। 
  14. अब फिर से पूरी पर ब्रश की मदद से तेल लगा दें और उस पर भी सूखा मैदा हर तरफ डस्ट कर दें। 
  15. पूरी को एक बार  मोड दें। फिर से हमें पूरी पर तेल व मैदा लगाना है और  फिर से एक बार और  निमकी को मोड़ना है। 
  16. हमें निमकी को ठीक वैसे ही मोड़ना है, जैसे हम तिकोना परांठा बनाते हैं और तेल व मैदा वैसे ही छिड़कना है जैसे हम लच्छा परांठा के लिए लगाते हैं। 
  17. अब सभी निमकियों पर  फोर्क की सहायता से प्रिक कर दें। 
  18. ऐसे ही सारी  निमकियाँ बनाकर एक थाली में ढँककर रख दें। 
  19. इसके बाद एक कड़ाही में पर्याप्त मात्रा में तेल डालकर गरम होने के लिए रख दें। 
  20. निमकी तलने के लिए भी तेल मीडियम गरम और आंच लो- मीडियम होना चाहिए, क्यूंकि अगर तेल बहुत तेज गरम होगा या आंच तेज होगी तो निमकी जल जाएगी। 
  21. अब 1-1 करके एक बार में जितनी निमकी कड़ाही में आ सके डाल दें। 
  22. थोड़ी देर के लिए निमकियों को बिना चलाये अपने से एक साइड से पकने दें। 
  23. जब एक साइड से निमकी का कलर हल्का गोल्डेन ब्राऊन हो जाए, तब उसे पलट दें। 
  24. दोनों साइड से पलट- पलटकर निमकियों को कुरकुरा और गोल्डेन ब्राऊन होने तक तल लें। 
  25. एक प्लेट में टिशू पेपर बिछाकर उस पर निमकियों को निकाल लें। 
  26. ऐसे ही सारी निमकियाँ बनाकर तैयार कर लें। 
  27. ठंडा हो जाने पर एक एयर- टाइट कंटेनर में रखकर 15- 20 दिनों तक आराम से यह निमकी खाई जा सकती है। 


5- मेथी मठरी 


मठरी उत्तर - भारत का एक पारंपरिक सूखा नाश्ता है। त्योहारों पर तो इसे विशेष रूप से बनाया जाता है। मेथी मठरी भी निमकी की तरह ही  मैदे में कुछ विशेष चीजों को मिलाकर बनाई जाती है। लेकिन इसमें जीरे की जगह कसूरी मेथी का इस्तेमाल होता है। इसे बनाना तो और भी आसान होता है। तो चलिये मेथी मठरी बनाना शुरू करते हैं। 


सामग्री
  1. मैदा - 2 कप 
  2. अजवाइन - 1 टी- स्पून 
  3. कसूरी मेथी - 1.5 टी- स्पून 
  4. कुटी हुई काली मिर्च - 1/4 टी- स्पून 
  5. घी- 4 टेबल- स्पून [ मोयन देने के लिए ] 
  6. नमक- 1 टी- स्पून या स्वादानुसार 
  7. गुनगुना पानी - आवश्यकतानुसार [ आटा गूँथने के लिए ] 

विधि 
  1. सबसे पहले एक बड़ी परात में मैदा निकालकर छान लें। 
  2. अब उसमें हाथों से क्रश करके अजवाइन और कसूरी मेथी डाल दें। 
  3. इसके साथ ही मैदे में कुटी हुई काली मिर्च और नमक डालकर सूखा ही एक बार अच्छे से मिक्स कर लें। 
  4. इसके बाद 3-4 टेबल- स्पून पिघलाया हुआ घी डालकर मसल- मसलकर मैदे  के कण - कण में अच्छे से मोयन लगा दें। 
  5. अब थोड़ा - थोड़ा गुनगुना  पानी डालते हुए सख्त आटा गूँथकर तैयार कर लें।
  6. आटे को ढँककर 15- 20 मिनट के लिए रेस्ट करने के लिए छोड़ दें। 
  7. 20 मिनट बाद एक बार फिर से आटे को मसलकर चिकना कर लें । 
  8. अब आटे को  4 बराबर भागों में बाँट लें। 
  9. आटे से एक भाग उठाएँ तथा उसके पेड़े बनाकर चकले पर रखकर एक बड़ी व मोटी रोटी बेलकर तैयार कर लें। बाकी आटे को ढँककर रखें। रोटी की मोटाई कुलचे जितनी होनी चाहिए। 
  10. अब एक छोटी कटोरी / ग्लास या कूकीज़ कटर से काटकर छोटी - छोटी पूरियाँ बनाकर तैयार कर लें। 
  11. हर एक पूरी पर दोनों तरफ से पलटकर एक फोर्क या चाकू के आगे के हिस्से से प्रिक कर दें। ऐसा करने से मठरी फूलेगी नहीं, बल्कि  अंदर तक पककर बहुत कुरकुरी बनेगी। 
  12. ऐसे ही सारी मठरियाँ बनाकर तैयार कर लें। 
  13. अब एक कड़ाही में पर्याप्त मात्रा में तेल डालकर गरम होने के लिए रख दें। आप चाहें तो जिस तेल में निमकी तली गयी थी उसी तेल में मठरी भी तल लें। 
  14. तलने की पूरी प्रक्रिया निमकी वाली ही होगी। 
  15. मठरियों को भी दोनों तरफ से क्रिस्प व गोल्डेन ब्राऊन होने तक तलकर टिशू पेपर पर निकाल लें। 
  16. ठंडा हो जाने पर एक एयर- टाइट कंटेनर में भरकर यह मठरी 15- 20 दिनों तक खाई  जा सकती है। 


6- चिवड़े की नमकीन 


चिवड़ा या पोहे से बनी नमकीन खाने में बहुत ही अधिक स्वादिष्ट होती है तथा आसानी से घर में उपलब्ध सामग्रियों से बनकर तैयार भी हो जाती है। आप इसे एक बार ज्यादा मात्रा में बनाकर एक एयर- टाइट कंटेनर में रखकर 1 महीने तक इस्तेमाल कर सकते हैं। घर की बनी नमकीन बाहर की पैकेट बंद नमकीन से ज्यादा अच्छी होती है। तो चलिये चिवड़े की नमकीन बनाना शुरू करते हैं। 

सामग्री 


  1. चिवड़ा / पोहा - 2 कप 
  2. मूँगफली / सिंगदाना - 1/2 कप 
  3. भुना हुआ बिना छिलके का काला चना - 1/2 कप 
  4. काजू - 1/4 कप [ वैकल्पिक ] 
  5. करी पत्ता - 15 - 20 
  6. हल्दी पाउडर - 1 टी- स्पून 
  7. नमक - स्वादानुसार 
  8. तेल- 2 टेबल- स्पून 
  9. राई- 1 टी- स्पून 
  10. सूखी लाल मिर्च - 4-5 
  11. चीनी - 2-3 टी- स्पून 
  12. चाट मसाला - 1/2 टी- स्पून 
  13. लाल मिर्च पाउडर- 1/2 टी- स्पून 

विधि 

  1. सबसे पहले कड़ाही में 1 टेबल- स्पून तेल डालकर गरम कर लें। 
  2. अब उसमें 2 कप पोहा डालकर लगातार चलाते हुए धीमी आंच पर तब तक पकाएँ, जब तक पोहा क्रिस्प न हो जाए। 
  3. पोहा / चिवड़ा क्रिस्प हुआ है कि नहीं, यह जानने के लिए जब आप एक पोहा निकालकर उसे मसलेंगे , तब वह पूरे तरीके से चूरा होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो 2-3 मिनट और पोहे को भून लें। 
  4. जब पोहा अच्छे से क्रिस्प हो जाए तब उसे निकालकर एक अलग प्लेट में निकाल लें। 
  5. अब उसी कड़ाही में बाकी का 1 टेबल - स्पून तेल भी डाल दें और गरम हो जाने पर मूँगफली को धीमी आंच पर भूनकर निकाल लें। 
  6. इसके बाद उसी तेल में राई , करी पत्ता , सूखी लाल मिर्च , काला चना और काजू भी डाल दें और सारी चीजों को अच्छे से चलाकर मिक्स कर दें। 
  7. इसके बाद कड़ाही में हल्दी पाउडर और लाल मिर्च पाउडर डाल दें और उसे भी चला दें। 
  8. अब कड़ाही में स्वादानुसार नमक, चीनी और चाट मसाला भी डालकर मिक्स कर दें। 1-2 मिनट तक पकने दें। 
  9. इसके बाद कड़ाही में चिवडा और मूँगफली डालकर मिक्स कर दें, ताकि अच्छे से सारे फ्लेवर पोहे के साथ मिक्स हो जाएँ। 
  10. 2-3 मिनट तक नमकीन को चलाते हुए पका लें। 
  11. 2-3 मिनट बाद गैस बंद कर दें और नमकीन को एक थाली में ठंडा होने के लिए निकाल लें। 
  12. स्वादिष्ट पोहे की  नमकीन बनकर तैयार है। ठंडा हो जाने पर एक एयर- टाइट कंटेनर में रखकर यह नमकीन 1 महीने तक खाई जा सकती है। 

दोस्तों, आशा करती हूँ कि होली के खास अवसर पर बनाई गई मिठाइयों व नाश्तों की मेरी ये रेसिपी आपको पसंद आई होगी। इस लेख में हमने न सिर्फ रेसिपी शेयर की है, बल्कि छोटे से छोटा टिप्स और ट्रिक्स भी शेयर किया है। जिससे आपको ये सभी चीजें बनाने में कोई परेशानी न आए। इस होली पर आप भी अपने घर पर ये सभी मिठाइयाँ व नाश्ते बनाएँ और अपने अनुभव और सुझाव मेरे साथ शेयर करें। 

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धन्यवाद ॥ 

Sunday, March 6, 2022

महाराष्ट्र की सुप्रसिद्ध कोथिम्बीर वड़ी - [ Famous Maharashtrian Kothimbir Vadi Recipe ]


नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम महाराष्ट्र की सुप्रसिद्ध कोथिम्बीर  वड़ी बनाएँगे।  कोथिंबीर वड़ी एक बहुत ही शानदार , चटपटा और क्रिस्प स्नैक्स है , जो धनिया पत्ती , बेसन , सफ़ेद तिल और कुछ भारतीय मसालों को मिक्स करके बनाया जाता है। महाराष्ट्र  में हरी धनिया को कोथिम्बीर कहा जाता है, जो इस शानदार रेसिपी का एक मुख्य घटक है और वड़ी का मतलब होता है;- क्यूब्स / स्लाइस / या वेजेस । धनिया दो प्रकार की होती है ;- एक  देसी धनिया , जो दिसंबर से मार्च तक उपलब्ध होती है। इसमें स्वाद और खुशबू ज्यादा होती है , और दूसरी होती है , हाइब्रीड धनिया , जो बाजार में पूरे साल उपलब्ध होती है, लेकिन स्वाद और खुशबू के मामले में देसी धनिया से कम होती है। दोस्तों, वैसे भी आजकल मार्केट में देसी धनिया प्रचुर मात्रा में आ रही है और काफी सस्ती भी मिल रही है। अगर आपके पास भी हरी धनिया ज्यादा मात्रा में आ गयी हो तो उससे एक बार इस शानदार डिश को जरूर बनाएँ, ये आपको बहुत पसंद आएगी। देसी धनिया से बनी कोथिंबीर वड़ी बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट होती है। आम तौर पर इसे पहले भाप में पकाते हैं, फिर इसे थाली या ट्रे में जमा दिया जाता है। ठंडा हो जाने पर इसे चौकोर टुकड़ों  में काटकर गरम तेल में डीप फ्राई किया जाता है, लेकिन आप चाहें तो इसे कम तेल में शैलो फ्राई भी कर सकते हैं। इसे आप गरमागरम मसाला चाय और अपनी मनपसंद चटनी या टोमॅटो केचप के साथ सुबह या शाम के नाश्ते में एंजॉय कर सकते हैं। इस रेसिपी में हमने भी कोथंबीर वड़ी को शैलो फ्राई ही किया है, जिससे यह टेस्टी डिश हेल्दी भी हो गयी है। यह डिश जितनी टेस्टी होती है , उतनी ही सेहत से भरपूर भी होती है, क्यूंकि इसमें इस्तेमाल होने वाली सभी चीजें  अपने आप में काफी गुणकारी होती हैं और  इसे बनाना भी  काफी आसान  होता है। तो चलिये स्वाद और सेहत से भरपूर महाराष्ट्र की सुप्रसिद्ध कोथंबीर वड़ी बनाना शुरू करते हैं। 


सामग्री

  1.  बारीक कटी हरी धनिया की पत्तियाँ - 1 कप 
  2. बेसन - 1 कप 
  3. चावल का आटा - 2 टेबल- स्पून 
  4. अदरक - 1/2 इंच टुकड़ा 
  5. लहसून की कलियाँ - 5-6 
  6.  बारीक कटी हरी मिर्च - 3 
  7. लाल मिर्च पाउडर - 1/2 टी- स्पून 
  8. हल्दी पाउडर - 1/4 टी- स्पून 
  9. जीरा - 1/2 टी- स्पून 
  10.  धनिया पाउडर- 1/2 टी- स्पून 
  11. गरम मसाला पाउडर - 1/4 टी- स्पून 
  12. नमक - स्वादानुसार 
  13. ड्राई रोस्ट किया हुआ सफ़ेद तिल- 1 टी- स्पून 
  14. नींबू का रस / दही - 1 टी- स्पून 
  15. कद्दूकस किया हुआ गुड़ - 1 टी- स्पून 
  16. कद्दूकस किया हुआ ताजा नारियल - 1 टी- स्पून 
  17. हींग - 1 पिंच
  18. तेल - 1/2 टी- स्पून [ बैटर में डालने के लिए ]
  19. पानी- 3/4 कप या आवश्यकतानुसार [ बैटर तैयार करने के लिए] 
  20. पानी - 2 कप [ कोथंबीर वड़ी को स्टीम करने के लिए ] 
  21. तेल - 4 टेबल - स्पून [ कोथंबीर वड़ी शैलो फ्राई करने के लिए और थाली को चिकना करने के लिए ]

विधि 

  1. सबसे पहले धनिया को साफ करके उसकी  खराब पत्तियों व मोटी डंडियों को हटा दें। इसके बाद धनिया को अच्छे से धो लें । जब धनिया अच्छे से सूख जाए , तब धनिया को बारीक - बारीक काट लें। 
  2. ध्यान रखें कि जब धनिया अच्छे से सूख जाए तभी उसे काटें। 
  3. सफ़ेद तिल को धीमी आंच पर 1 मिनट के लिए लगातार चलाते हुए ड्राई रोस्ट कर लें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि तिल जलने न पाये नहीं तो तिल का स्वाद कड़वा हो जाएगा और हमारी कोथीम्बीर वड़ी का स्वाद भी खराब हो जाएगा। 
  4. इसके बाद एक बड़े बर्तन में बेसन , चावल का आटा , बारीक कटी हरी मिर्च , लाल मिर्च पाउडर , हल्दी पाउडर  , धनिया पाउडर , गरम मसाला पाउडर, सफ़ेद तिल , नींबू का रस / दही , हींग , 1/2 टी- स्पून तेल, कद्दूकस किया हुआ गुड़ , कद्दूकस किया हुआ ताजा नारियल  और स्वादानुसार नमक डालकर सूखा ही एक बार अच्छे से मिक्स कर लें। आप चाहें तो 1 टेबल- स्पून मूँगफली को ड्राइ रोस्ट करके उसका छिलका हटा दें और उसे भी दरदरा कूटकर इस मिश्रण में मिक्स कर सकते हैं। 
  5. अदरक , लहसून  और जीरा को एक खरल [ अदरक कूटने का बर्तन ] में डालकर कूट लें और उसे भी बेसन के मिश्रण में डालकर अच्छे से मिक्स कर लें। आप चाहें तो ताजे कुटे अदरक- लहसून  और जीरे के पेस्ट के स्थान पर 1 टेबल- स्पून मार्केट में मिलने वाला अदरक - लहसून का पेस्ट भी इस्तेमाल कर सकते हैं और जीरे के स्थान पर 1/2 टी- स्पून जीरा पाउडर का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, लेकिन ताजे कुटे मसालों का एक अलग ही फ्लेवर होता है और साथ ही ये सभी चीजें घर में हर वक़्त उपलब्ध भी होती है। इसलिए हमने अदरक - लहसून और जीरे को ताजा कूट लिया है। 
  6. अब इस मिश्रण में बारीक कटी हरी धनिया भी मिक्स कर दें।
  7. इसके बाद गैस पर एक बड़े कूकर / स्टीमर / कड़ाही में 2 कप पानी डालकर , ढँककर तेज आंच पर उबलने के लिए रख दें। कूकर का इस्तेमाल कर रहे हों तो उसकी सीटी निकाल दें। हमने यहाँ पर कूकर का इस्तेमाल ही किया है।  
  8. इसके बाद बेसन व धनिये के मिश्रण में थोड़ा - थोड़ा करके पानी डालते जाएँ और चलाते जाएँ। ध्यान रखें कि हमें एक साथ पूरा पानी नही डालना है , नहीं तो बेसन में गुठली पड़ जाएगी और मिश्रण के पतला होने की भी संभावना है। 
  9. घोल न तो ज्यादा गाढ़ा और न ही ज्यादा पतला हो। हमें मध्यम स्थिरता का बैटर तैयार करना है। इतनी सामग्री के लिए बैटर बनाने में हमें 3/4 कप पानी की आवश्यकता होगी। 
  10. अब बैटर को एक चिकना किए हुए थाली / प्लेट / बाउल  या ट्रे में डाल दें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जिस भी बर्तन में आप कोथंबीर वड़ी को स्टीम होने के लिए रख रहे हों, उसके किनारे 6-7 इंच ऊंचे हों। हमने एक 6-7 इंच ऊंचे किनारों वाले बाउल का इस्तेमाल किया है। 
  11. जब पानी में अच्छा उबाल आ जाए तब गैस की आंच को कम कर दें और कूकर का ढक्कन हटाकर उसके बेस में  एक छोटी कटोरी या गरम बर्तन रखने वाल स्टैंड डाल दें और उस पर सावधानी से बाउल  को रख दें। 
  12. कूकर को ढँककर 20 मिनट के लिए मध्यम आंच पर पकने दें। 
  13. 20 मिनट बाद कूकर का ढक्कन हटाकर एक चाकू / टूथ- पिक कोथंबीर वड़ी के बिलकुल बीच में डालकर चेक कर लें। अगर चाकू / टूथ - पिक साफ निकल रहा है, तो गैस बंद कर दें और सावधानी  से बाउल  को बाहर निकाल लें। मिश्रण को ठंडा होने दें। 
  14. जब मिश्रण बिलकुल ठंडा हो जाए तब उसे चौकोर टुकड़ों में काटकर एक प्लेट में निकाल लें। 
  15. इसके बाद एक कड़ाही में 3 टेबल- स्पून तेल डालकर गरम कर लें। 
  16. तेल गरम हो जाने के बाद एक - एक करके एक बार में जितनी कोथंबीर वड़ी कड़ाही में आ सके डाल  दें।
  17. मीडियम आंच पर दोनों तरफ से पलट- पलटकर गोल्डेन ब्राउन होने तक पका लें और एक टिशू पेपर पर निकाल लें। 
  18. बाकी बची हुई कोथंबीर वड़ी को भी ऐसे ही बना लें। 
  19. स्वादिष्ट और कुरकुरी कोथंबीर वड़ी बनकर तैयार है। इसे गरमागरम चटनी व मसाला चाय के साथ सर्व करें।     
हरी धनिया के फायदे - हरी धनिया न सिर्फ किसी खाने में मिलकर उसका खुशबू और स्वाद बढ़ाती है, बल्कि इसके सेवन से हमें बहुत सारे फायदे भी मिलते हैं।    
  1. हरी धनिया पोषक तत्वों की खान होती है। इसमें प्रोटीन , फाइबर , कार्बोहाइड्रेट , मिनरल्स , कैल्शियम, फोस्फोरस , आयरन, कैरोटीन , थियामिन , पोटैशियम और विटामिन C भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं। 
  2. इसके साथ ही ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में भी हरी धनिया को रामबाण माना जाता है। इसके नियमित सेवन से ब्लड में इंसुलिन की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। 
  3. हरा धनिया डाइट्री फाइबर्स से भरपूर होने के कारण पाचन क्रिया को मजबूत करने और पेट दर्द से राहत दिलाने का काम भी करता है। 
  4. हरा धनिया आइरन से भरपूर होने के कारण एनीमिया को दूर करने में भी लाभकारी होता है। 
  5. विटामिन A से भरपूर धनिया आँखों की सेहत के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है। 
  6. धनिया में वसा की मात्रा न के बराबर होती है। हरे धनिये में कुछ ऐसे पोषक तत्व भी पाये जाते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में सहयोगी होते हैं। 
  7. एन्टी - ऑक्सीडेंट्स , मिनरल्स , विटामिन A  व  C से भरपूर होने के कारण कैंसर जैसी बड़ी बीमारी से भी बचाव करता है। 
  8. इसमें मौजूद फाइटोनुट्रीएंट्स रेडिकल डैमेज से सुरक्षा प्रदान करने का काम करते हैं। 
  9. धनिया में विटामिन K की भी अच्छी मात्रा पायी जाती है, जो अल्जाइमर की बीमारी से राहत दिलाने में मदद करती है। 
  10. इसके साथ ही धनिया नकसीर फूटने की समस्या  को दूर करने में , पेशाब साफ करने, इम्यूनिटी बढ़ाने , बदहज़मी , मचली, पेचिश और कोलाइटिस को दूर करने में भी मदद करती है। 
                       तो देखा आपने धनिया न सिर्फ एक सब्ज़ी है , बल्कि औषधीय गुणों की भी खान है। अतः इसे अपने प्रतिदिन के डाइट में किसी न किसी रूप में अवश्य शामिल करें। 

दोस्तों, आशा करती हूँ कि महाराष्ट्र की सुप्रसिद्ध कोथंबीर वड़ी की मेरी ये रेसिपी आपको पसंद आई होगी। आप भी अपने घर पर कोथंबीर वड़ी बनाएँ और अपने अनुभव और सुझाव मेरे साथ शेयर करें। 

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धन्यवाद॥ 

लोहड़ी स्पेशल मक्के की रोटी और सरसों का साग [ Lohri Special Punjab's Classical Makke ki roti aur Sarson ka saag recipe ]

 नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम लोहड़ी के खास अवसर पर पंजाब की क्लासिकल डिश मक्के की रोटी और सरसों का साग बनाएँ...